जब दादी मां ट्रैक्टर लेकर खेत पर निकलती हैं, तो गांव वाले कहते हैं-सरपंच हों तो ऐसी

कोई काम छोटा-बड़ा नहीं होता। दूसरा, अगर जिंदगी में संघर्ष की नौबत आए, तो हारकर पीछे नहीं हटें। उसका डटकर मुकाबला करें, जिंदगी में अच्छे दिन भी आएंगे। यह कहानी ऐसी ही 53 वर्षीय महिला की है। जिसकी 11 साल की उम्र में शादी हो गई थी। घर-परिवार सबठीक चल रह था कि पति की मौत के बाद जमीनी विवाद में फंस गई। महिला ने हार नहीं मानी। अपना संघर्ष जारी रखा। आज ये अपने गांव की सरपंच है। दादी बन जाने के बाद भी ट्रैक्टर से खुद खेतों पर काम करती हैं।

 

हिसार, हरियाणा. यह हैं अग्रोहा क्षेत्र के किराड़ा गांव की 53 वर्षीय सरपंच विमला सैनी। गांववाले इन्हें ट्रैक्टरवाली सरपंच कहकर पुकारते हैं। कहते हैं कि कोई काम छोटा-बड़ा नहीं होता। दूसरा, अगर जिंदगी में संघर्ष की नौबत आए, तो हारकर पीछे नहीं हटें। उसका डटकर मुकाबला करें, जिंदगी में अच्छे दिन भी आएंगे। यही कहानी कहती है विमला की। इनकी 11 साल की उम्र में शादी हो गई थी। घर-परिवार सबठीक चल रहा था कि पति की मौत के बाद जमीनी विवाद में फंस गई। लेकिन विमला ने हार नहीं मानी। अपना संघर्ष जारी रखा। आज ये अपने गांव की सरपंच हैं। दादी बन जाने के बाद भी ट्रैक्टर से खुद खेतों पर काम करती हैं।

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खेलने की उम्र में शादी..
विमला बताती हैं कि 1977 में 11 साल की उम्र में उनकी शादी अग्रोहा ब्लॉक के किराड़ा गांव के रहने वाले सजन सैनी से हुई थी। उनके दो बेटे और तीन बेटियां हैं। कुछ साल पहले पति की मौत के बाद जमीन को लेकर परिवार में विवाद हो गया। मामला कोर्ट-कचहरी तक पहुंचा। अपने बच्चों को अकेले पाल रहीं विमला के लिए परिवारवालों ने इतन संघर्ष खड़ा कर दिया कि उन्हें ससुराल छोड़कर मायके लौटना पड़ा। तमाम परेशानियों के बावजूद विमला ने हार नहीं मानी और आज वे गांव की मिसाल हैं।
 

कोई खेत जोतने को तैयार नहीं हुआ
पारिवारिक विवाद के चलते कोई भी उनका खेत जोतने को तैयार नहीं था। इस पर विमला ने ट्रैक्टर चलाना सीखा और खुद खेतों की जुताई करने निकल पड़ीं। पहले लोगों ने मजाक उड़ाया, लेकिन बाद में वही लोग उनकी तारीफ करने लगे। विमला अपनी फसल खुद मंडी में लेकर जातीं। अब उनके बेटे बड़े हो गए हैं। फिर भी वे उन्हें खेतों पर काम करते देखा जा सकता है। विमला के संघर्ष को देखते हुए गांववालों ने उन्हें 2010 में पहली बार सरपंच बनाया। विमला ने यह  जिम्मेदारी भी बखूबी निभाई। गांव की हर समस्या के समाधान के लिए वे सबसे आगे होती हैं। गांव के ज्यादातर फैसले मिलजुलकर हल करा लिए जाते हैं। पुलिस की जरूरत नहीं पड़ती। विमला के दोनों बेटे अजय और रविशंकर कहते हैं कि उन्हें अपनी मां पर गर्व है।

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