लोंगेवाला युद्ध के हीरो कर्नल धर्मवीर का बीमारी से निधन, इनकी अगुवाई में छोटी सी टुकड़ी ने किए थे पाकिस्तान के

जैसलमेर भारत पाकिस्तान के मध्य 1971 में हुए लोंगेवाला युद्ध मे अपने अदम्य साहस ,पराक्रम और शौर्य से पाकिस्तान सेना के छक्के छुड़ाने वाले कर्नल धर्मवीर विभिन्न बीमारियों के चलते आज निधन होे गया है।

Sanjay Chaturvedi | Published : May 17, 2022 12:06 PM IST / Updated: May 18 2022, 12:44 PM IST

गुड़गाव.भारतीय सेना की अदम्य साहस से जिस लोंगेवाला का युद्ध जीता गया, उस युद्ध के एक महानायक कर्नल धर्मवीर का सोमवार को निधन हो गया। उस समय लेफ्टिनेंट के रूप में तैनात धर्मवीर के नेतृत्व में ही भारतीय सेना की एक छोटी सी टुकड़ी जैसलमेर के लोंगेवाला चेकपोस्ट की अग्रिम चौकी पर तैनात थी। रात करीब 12 बजे 2500 सैनिकों और 65 टैंकों के साथ पाकिस्तान फौज ने इसी चेक पोस्ट के रास्ते नई दिल्ली जाने की खौफनाक साजिश रची थी। लेकिन मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी के लीडरशिप में और लेफ्टिनेंट धर्मवीर की अगुआई में छोटी सी भारतीय टुकड़ी ने पाकिस्तानी फौज के दांत खट्टे कर दिए थे।
सोमवार सुबह आई निधन की खबर
एएनआई की खबर के मुताबिक रक्षा मंत्रालय के पीआरओ ने बताया कि सोमवार के इस युद्ध के हीरो कर्नल धर्मवीर का गुड़गांव स्थित उनके आवास पर निधन हो गया। कर्नल धर्मवीर ने 1992 से 1994 तक 23वीं पंजाब बटालियन का नेतृत्व किया था। 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच लोंगेवाला युद्ध में जिसमें कर्नल ने हिस्सा लेकर जीत दिलाने में योगदान दिया था। उसी वार पर सुपरहिट फिल्म बॉर्डर बनी है।

90 सैनिको के साथ भिड़ गए थे, 2500 दुश्मन फौज से
 करीब 12 बजे रात में पाकिस्तान ने लोंगेवाला चेकपोस्ट पर 2500 सैनिकों व 65 टैंकों के साथ हमला करना शुरू कर दिया। भारत की तरफ से कोई अतिरिक्त तैयारी नहीं की गई थी। चेकपोस्ट पर सिर्फ 90 साथियों के साथ कर्नल धर्मवीर तैनात थे। उनको अपने इन्ही सैनिकों के साथ पाकिस्तान के 2000 से अधिक सैनिकों का मुकाबला करना था। क्योंकि रात को वायुसेना मदद करने में असमर्थ थी। लेफ्टिनेंट धर्मवीर के नेतृत्व में जवानों ने पूरी रात अपने अदम्य साहस के साथ पाकिस्तानी सैनिकों को रोके रखा। पाकिस्तान सैनिकों और टैंकों को सिर्फ 90 सैनिकों ने नेस्तनाबूत कर दिया। जो कुछ बच गया था वह एयर फोर्स के जवानों ने कर दिया था।

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अचानक हमले हुए हमले पर दो ही ऑप्शन थे कर्नल के पास

बांग्लादेश जो कि 1971 में पाकिस्तान से आजादी की लड़ाई लड़ रहा था उसे भारत की आर्मी का सपोर्ट मिला था। जिसके कारण युद्ध में बुरी तरह मात खाने के बाद पाकिस्तान ने लोंगेवाला के रास्ते नई दिल्ली पहुंचने का खौफनाक साजिश रची थी। इसी साजिश के तहत उसने 2500 जवानों के साथ 65 टैंकों और 1 मोबाइल इंफेंट्री ब्रिगेड के साथ जैसलमेर के लोंगेवाला पोस्ट की ओर रवाना किया। 4 दिसंबर की रात जैसलमेर के लोंगेवाला चेकपोस्ट पर ज्यादा जवानों की तैनाती नहीं थी। लेफ्टिनेंट धर्मवीर की अगुआई में वहां पेट्रोलिंग टीम गश्त कर रही थी। तभी पाकिस्तान की तरफ से कुछ हरकतें होनी शुरू हुई। लेफ्टिनेंट धर्मवीर ने तुरंत ब्रिगेडियर चांदपुरी को खबर दी उन्होने कहा कि डरने की कोई जरूरत नहीं, डटकर मुकाबला करो। लेफ्टिनेंट धर्मवीर ने दुश्मन की पूरी जानकारी के लिए आगे बढ़कर देखा तो दंग रह गए। क्योंकि पाकिस्तान की ओर से 65 टैंक और 2500 जवान आगे बढ़ रहे थे।लेफ्टिनेंट धर्मवीर ने जब मेजर चांदपुरी को इसकी सूचना दी तो उनके सामने दो विकल्प थे 
पहला चेकपोस्ट छोड़कर पीछे हट जाना और दूसरा डटकर मुकाबला करना. चांदपुरी ने डटकर मुकाबले का निर्देश दिया।

डटकर मुकाबला किया और फतेह पाई
दुश्मन के टैंकों और गाड़ियों के महज कुछ दूरी पर जवानों ने ही चेकपोस्ट के सामने एंटी टैंक माइंस का जाल बिछा दिया। जिससे दुश्मन के टैंक बर्बाद हो गए। जिससे टैंक आगे बढ़ना रुक गए फिर उन्होने आर्टरी फायरिंग शुरू कर दी । लेफ्टिनेंट धर्मवीर के नेतृत्व में भारतीय रणबांकुरों ने एंटी टैंक गन से पाकिस्तानी टैंकों को निशाना बनाना शुरू कर दिया। भारतीय जवानों ने पूरी रात उनका डटकर मुकाबला किया और लोंगेवाला से दुश्मन को खदेड़ने में कामयाब रहे।


लोंगेवाला का युद्ध भारतीय सेना के साहस, शक्ति और पराक्रम का प्रतीक है। 1971 के युद्ध को 50 साल हो गए। अब धीरे-धीरे इस युद्ध के महानायकों का निधन हो रहा है। चांदपुरी का 2018 में मोहाली में निधन होने के बाद अब कर्नल धर्मवीर के भी निधन की दुखद खबर आ गई है।

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