हरियाणा की सीनियर नेता और पुडुचेरी की पूर्व उपराज्यपाल चंद्रावती का रविवार सुबह रोहतक स्थित पीजीआई में इलाज के दौरान निधन हो गया। वे 92 साल की थीं। उधर, मध्य प्रदेश के वरिष्ठ नेता कैलाश सारंग का भी मुंबई में शनिवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया।
रोहतक, हरियाणा. दो दिनों में दो वरिष्ठ नेताओं का निधन हो गया। रविवार सुबह हरियाणा की सीनियर लीडर और पुडुचेरी की पूर्व उपराज्यपाल चंद्रावती का 92 साल की उम्र में निधन हो गया। वे लंब समय से बीमार थीं। उनका रोहतक के पीजीआई में इलाज चल रहा था। उनके निधन पर विभिन्न राजनीति दलों ने शोक जताया है। 3 सितंबर 1928 को दादरी के गांव डालावास में जन्मीं चंद्रावती ने पंजाब के संगरूर जिले से स्नातक की थी। इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी। चंद्रावती ने भिवानी लोकसभा क्षेत्र के पहले चुनाव में 67.62 प्रतिशत वोट हासिल करके एक रिकार्ड दर्ज किया था। यह रिकार्ड आज तक कायम हैं। 1977 में चंद्रावती ने 2 लाख 89 हजार 135 वोट हासिल करके पूर्व मुख्यमंत्री बंशीलाल को शिकस्त दी थी। उधर, मध्य प्रदेश के वरिष्ठ नेता कैलाश सारंग का भी मुंबई में शनिवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया।
14 इलेक्शन लड़े थे
चंद्रावती हरियाणा की राजनीति में खासा दखल रखती थीं। उन्होंने अपने राजनीति करियर में 14 चुनाव लड़े। वे कई महत्वपूर्ण पदों पर रहीं। हालांकि हरियाणा के मुख्यमंत्री बनने की उनकी इच्छा कभी पूरी नहीं हो पाई। उन्हें हरियाणा की पहली महिला सांसद होने का गौरव हासिल था। वे सबसे पहले 1977 में भिवानी लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुनी गई थीं। वे हरियाणा विधानसभा की पहली विधायक भी रही थीं। उन्हें दो बार मंत्री परिषद में जगह मिली। वे 1964 से 1966 और फिर इसके बाद 1972 से 1974 तक मंत्री रहीं।
विपक्ष की नेता भी रहीं
चंद्रावती 1982 से 1985 तक हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता की भूमिका में भी रहीं। उन्हें 1990 में पुडुचेरी का उपराज्यपाल बनाया गया था। वे इस पद पर फरवरी 1990 से दिसंबर 1990 तक रहीं। चंद्रावती 1977 में हरियाणा में जनता पार्टी की अध्यक्ष बनीं और 1879 तक इस पद पर रहीं। चंद्रावती अपने इलाके में ग्रेजुएशन करने वाली पहली महिला थीं। उनके नाम पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट की पहली महिला वकील होने का गौरव भी है।
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