
झज्जर. हरियाणा का भदानी गांव शहीदों की नर्सरी के नाम से जाना जाता है। इस गांव के नौजवान सेना में शामिल होकर देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर देना अपना कर्तव्य समझते हैं और इसे बहुत अच्छे से निभाते भी हैं। साल भर पहले हेलीकॉप्टर क्रैश में शहीद हुए सर्जेंट विक्रम सहरावत भी इनमें से एक थे। सहरावत जम्मू कश्मीर में एक हेलीकॉप्टर क्रैश होने से शहीद हुए थे। उनके शव को भी गांव आने में 2 दिन का समय लगा था। शव आया भी ऐसा था कि किसी ने ताबूत खोलकर शहीद का चेहरा देखने की हिम्मत नहीं की।
शहादत के साल भर बाद बनी प्रतिमा
विक्रम की शहादत के साल भर बाद गांव में उनकी प्रतिमा लगाई गई तो मां की आंखों से आंसू बह चले। पहले तो प्रतिमा को देखा और उसे ही गले लगाकर रोने लगी। प्रतिमा के अनावरण के लिए आए सभी नेता भी यह देखकर भावुक हो गए। आखिरकाम मां ने मूर्ति पर फूल चढ़ाए और अपने गम को समेट लिया।
टकटकी लगाए देखता रहा बेटा
विक्रम का बेटा भी अपने पिता की मूर्ति को टकटकी लगाए देखता रहा। पहले तो सभी को फूल चढ़ाने दिया और खुद किनारे खड़ा था, पर जब सभी लोग मुख्य कार्यक्रम की तरफ चले गए तो वह अकेला अपने पिता की तरफ देख रहा था मानो कुछ सवाल करना चाह रहा हो। शहीद की मां कांता इस कार्यक्रम में रोने वाली अकेली नहीं थी। घर के सभी सदस्य और बाहर आए लोग भी इस शहीद को याद कर आंसू बहा रहे थे।
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