बचपन में इस वजह से मेंटल ट्रॉमा से गुजरे थे ऋतिक रोशन, जानें बच्चों को क्यों होती है यह बीमारी

बॉलीवुड के हैंडसम हंक ऋतिक रोशन को देखकर भला कौन कह सकता है कि वह बचपन में एक गंभीर बीमारी से पीड़ित थे। इस बीमारी के चलते उन्हें बोल पाने में भी दिक्कत आती थी और लोग उनका मजाक उड़ाते थे। आइए आज हम आपको बताते इस बीमारी के बारे में और बच्चों को यह कैसे प्रभावित कर सकती है।

हेल्थ डेस्क : बॉलीवुड में ग्रीक ब्रॉड की संज्ञा ऋतिक रोशन को दी गई है। वह जिस कॉन्फिडेंस से डांस करते हैं, एक्टिंग करते हैं और उनके लुक्स के चलते वह हमेशा चर्चा में रहते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं ऋतिक रोशन कभी अंडरकॉन्फिडेंट भी हुआ करते थे और बचपन में उन्हें मेंटल ट्रॉमा से गुजरना पड़ा। दरअसल, हाल ही में एक इंटरव्यू में उन्होंने अपने ट्रॉमेटिक चाइल्डहुड के बारे में बताया और उन्होंने कहा कि उन्हें बचपन में कई समस्याओं ने घेर लिया था, जिसमें से एक था हकलाना। इसकी वजह से स्कूल में बच्चे उन्हें काफी चिढ़ाया करते थे। इस वजह से उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। उनका कोई दोस्त नहीं था। ऐसे में आइए आज हम आपको बताते हैं कि बच्चों को स्टैमरिंग की प्रॉब्लम क्यों हो जाती है और इसे कैसे कम किया जा सकता है...

आखिर क्यों हकलाते हैं बच्चे 
दरअसल, तुतलाना या हकलाना एक आम बोलने के समस्या है। जिसे खासकर बच्चों में देखा जाता है। हालांकि, उम्र बढ़ने के साथ यह चीजें कम हो जाती है। स्टैमरिंग दो प्रकार की होती है। डेवलपमेंटल स्टैमरिंग और लेट ऑनसेट स्टैमरिंग। डेवलपमेंटल स्टैमरिंग बच्चों में देखी जाती है और यह धीरे धीरे कम हो जाती है। जबकि, लेट ऑनसेट स्टैमरिंग बड़ों में पाई जाती है और यह लंबे समय तक चलती है। इसका कारण सदमा, सिर पर चोट या कोई न्यूरोलॉजिकल समस्या हो सकती है।

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बच्चों में हकलाने के कारण 
- बच्चों में हकलाने के कई कारण हो सकते हैं। जिसमें पहला अनुवांशिक हो सकता है। यानी की अगर आपकी कोई फैमिली हिस्ट्री स्टैमरिंग की रही है, तो बच्चे में हकलाने की समस्या हो सकती है।

- कई बार बच्चे डर के कारण भी हकलाना शुरू कर देते हैं। हालांकि, समय के साथ जब उनका डर कम होता है तो वह हकलाना कम कर देते हैं।

- बच्चों का सहम जाना। कई बार माता-पिता या अन्य लोगों की डांट या मार की वजह से बच्चे इतना सहम जाते हैं कि बोल पाने में भी असमर्थ हो जाते हैं।

- सोशल प्रेशर और दूसरे बच्चों से तुलना बच्चे के आत्मविश्वास को कम कर देता है। जिसके चलते वह बात नहीं कर पाता है और कई बार हकलाने भी लगता है।

- कई बार कोई दिमाग या सिर में लगी चोट के कारण भी बच्चों को स्टैमरिंग की प्रॉब्लम हो सकती है।

- स्टैमरिंग का एक कारण स्पीच प्रोडक्शन केंद्र में खून के प्रभाव की कमी भी होती है।

हकलाने का इलाज 
- बच्चों में हकलाने की समस्या को कम करने के लिए सबसे उचित स्पीच थेरेपी है। किसी स्पेशलिस्ट या माता पिता खुद भी बच्चों को टाइम दे कर उनको यह थेरेपी दे सकते हैं।

- कई बार स्टैमरिंग के कारण बच्चों के दिमाग पर बुरा असर पड़ता है, इसलिए उन्हें मनोचिकित्सक से बात करने की सलाह भी दी जाती है।

- स्टैमरिंग को कम करने के लिए योग बहुत कारगर है। कपालभाति, उज्जायी और अनुलोम-विलोम जैसे योग और प्राणायाम के जरिए बच्चों का हकलाना दूर किया जा सकता है।

ध्यान रखने योग्य बातें 
- अगर घर में कोई बच्चा हकला रहा है, तो पेरेंट्स को विशेष ध्यान देने की जरूरत है। बच्चे की बात को आप खुद पूरा नहीं करें, बल्कि उसे खुद बोलने दें। 

- अगर बच्चा हकलाता है, तो उसकी आलोचना या फिर उसका मजाक ना उड़ाए और ना ही किसी को ऐसा करने दें। 

- जब वह हकलाए तो उसे घूरे या डांटे ना, लगातार आपके देखने से बच्चा अंडरकॉन्फिडेंट हो सकता है। 

- हमेशा मां-बाप को बच्चे की स्थिति को देखते हुए रिलैक्स होना चाहिए, क्योंकि अगर बच्चा देखता है कि उसके हकलाने से कोई परेशान हो रहा है तो और भी ज्यादा डर जाता है।

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