स्टडी: पिता के डिप्रेशन का बच्चों पर होता है असर, ऐसे प्रभावित होती है उनकी मेंटल हेल्थ

तेजी से बदल रही लाइफस्टाइल और गलाकाट प्रतिस्पर्धा लोगों को तेजी से डिप्रेशन की तरफ ढकेल रहा है। बीते कुछ दशक में डिप्रेशन के मरीज बढ़े हैं। इससे निपटने के लिए लगातार स्टडीज हो रहे हैं।एक स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।

हेल्थ डेस्क. डिप्रेशन ( depression) के बढ़ते मरीजों को देखते हुए इस पर कई स्टडी किए जा रहे हैं।  पेन स्टेट और मिशिगन स्टेट के हालिया स्टडी के मुताबिक जेनेटिक के साथ-साथ माता-पिता में डिप्रेशन से बच्चों के मेंटल हेल्थ प्रभावित हो रहे हैं। बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास को लेकर स्टडी किए गए। जिसमें पता चला कि जेनेटिक के साथ-साथ माता-पिता के डिप्रेशन भी बच्चों के मेंटल हेल्थ को ज्यादा प्रभावित करते हैं। (फोटो क्रेडिट:https://www.freepik.com/)

स्टडी में 720 परिवारों को किया गया शामिल

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यह स्टडी 'डेवलपमेंट एंड साइकोपैथोलॉजी' जर्नल में प्रकाशित हुआ है।पेन स्टेट में मनोविज्ञान और मानव विकास और पारिवारिक अध्ययन के प्रतिष्ठित प्रोफेसर Jenae Neiderhiser के अनुसार बहुत सारे स्टडी बायोलॉजिकल रूप से संबंधित परिवार के भीतर डिप्रेशन यानी अवसाद पर केंद्रित है। एडोप्टिंग फैमिली (जिसमें गोद लिया बच्चा है) और ब्लेंडेड फैमिली (जिसमें गोद लिया हुआ और अपना बच्चा) भी है उसे लेकर स्टडी हुई। इस स्टडी में 720 परिवारों को शामिल किया गया। आधे से अधिक परिवारों में सौतेले माता-पिता हैं जो बच्चों की परवरिश के लिए जिम्मेदार हैं। इस शोध को करने के पीछे का मकसद यह है कि पिता का डिप्रेशन या माता-पिता का डिप्रेशन में होना, क्या बड़े होते बच्चों में भी इस बीमारी की वजह बन सकता है?

माता-पिता के बीच लड़ाई बच्चों के मानसिक विकास पर डालता है असर

रिसर्चर का कहना है कि अब तक जितने स्टडी हुए थे उनमें यह अधिक जानकारी मिलती है कि अवसाद और अनुवांशिक रूप (जेनेटिक) से बढ़े परिवार पर इसका क्या असर होता है लेकिन अब शोध के माध्यम से इस बारे में भी जानकारी मिल रही है कि गोद लिए हुए बच्चों वाले परिवार साथ ही मिश्रित परिवार यानी जिनमें एक बच्चा गोद लिया हुआ होता है और एक अनुवांशिक होता है, इन परिवारों में पिता के डिप्रेशन का किस तरह का प्रभाव होता है। बर्ट, जिन्होंने 2000 के दशक की शुरुआत से नीदरहाइज़र के साथ परियोजनाओं पर काम किया है, ने कहा-

-पिता के डिप्रेशन का बड़े होते बच्चों पर गहरा असर पड़ता है। चाहे बच्चा खुद का हो या फिर गोद लिया हुआ हो।

-पिता यदि डिप्रेशन में हो तो बच्चों को विकास के लिए सही इनवर्मेंट नहीं मिल पाता है। 

-स्टडी में यह भी देखा गया कि माता-पिता और किशोर बच्चों के बीच वैचारिक संघर्ष होता है, लेकिन यदि पैरेंट्स डिप्रेशन से गुजर रहे हैं तो बच्चे के लिए स्थितियां बहुत पीड़ा देने वाली हो जाती है। इसका असर बच्चे के मानसिक और भावनात्मक विकास पर पड़ता है। जो फ्यूचर में उन्हें डिप्रेशन या  एंग्जाटी का शिकार बना सकती है।

-यदि माता-पिता बच्चे को डांटते वक्त भविष्य के बारे में ज्ञान देते हैं तो भी बच्चे के मानसिक अवस्था पर इसका असर पड़ता है। इससे बच्चे का मन कुंठित होता है।जो बच्चे के मानिसक विकास पर असर डालता है।

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