ज्यादा सोने से भी हो सकती है परेशानी, बढ़ जाता है स्ट्रोक का खतरा

आजकल लोग पूरी नींद नहीं ले पाते हैं। यह स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं माना गया है, लेकिन जरूरत से ज्यादा सोना भी अच्छा नहीं। यह एक बीमारी है और इससे हार्ट स्ट्रोक का खतरा पैदा हो सकता है। 
 

हेल्थ डेस्क। चीन में हुए एक अनुसंधान से पता चला है कि ज्यादा सोने से दिल से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं, खास कर इससे स्ट्रोक का खतरा ज्यादा रहता है। वैसे कम सोने से भी स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। डॉक्टरों का कहना है कि किसी व्यक्ति को 7 से 8 घंटे की नींद लेनी चाहिए। लेकिन जो लोग 9 घंटे या इससे ज्यादा सोते हैं, उन्हें दिल की बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती है। 

मेडिकल जर्नल 'न्यूरोलॉजी' में छपी रिपोर्ट
मेडिकल जर्नल 'न्यूरोलॉजी' में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, 9-10 घंटे की नींद लेने वालों को सावधान हो जाने की जरूरत है। ऐसे लोग दिल की बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। यह स्टडी चीन के 31 हजार 750 लोगों पर की गई, जिनकी औसत उम्र 62 साल थी। 6 साल से ज्यादा स्टडी में पाया गया कि जब स्टडी शुरू की गई थी, तो इसमें शामिल लोगों में दिल की बीमारी से संबंधित कोई लक्षण नहीं पाए गए, लेकिन बाद में देखा गया कि जो लोग 9 घंटे से ज्यादा सो रहे थे, उनमें हार्ट डिजीज और स्ट्रोक का खतरा बढ़ गया था।

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बढ़ जाता है कोलेस्ट्रॉल का लेवल
शोधकर्ताओं ने पाया कि जो लोग दिन में देर तक या लंबी झपकी लेते हैं, उनमें कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ जाता है। यही मुख्य रूप से दिल के रोगों के लिए जिम्मेदार होता है। जो लोग दिन में ज्यादा देर तक झपकी ले रहे थे, उनमें हार्ट स्ट्रोक का खतरा 23 प्रतिशत तक ज्यादा बढ़ा हुआ पाया गया। शोध के दौरान इसमें शामिल लोगों में से हार्ट स्ट्रोक के कुल 1 हजार, 557 मामले आए। ये सभी लोग दिन में ज्यादा सोते थे और इनकी जीवनशैली भी ठीक नहीं थी। ये कभी एक्सरसाइज या मेहनत-मशक्कत का काम नहीं करते थे।

हाइपरसोमनिया है इस बीमारी का नाम
दरअसल, जैसे नींद का कम आना एक बीमारी है, जिसे इनसोमनिया कहते हैं, उसी तरह  ज्यादा सोना भी एक बीमारी ही है। इसे हाइपरसोमनिया कहते हैं। इसमें व्यक्ति हर समय थका-थका और आलस महसूस करता है। उसे नींद ज्यादा आती है, लेकिन ज्यादा सोने के बावजूद उसे लगता है कि उसकी नींद पूरी नहीं हुई है। ऐसे लोगों को अपनी जीवनशैली में बदलाव करने की जरूरत डॉक्टरों ने बताई। उनका कहना था कि इनसोमनिया के इलाज के लिए भी नींद की गोलियां देनी पड़ती हैं, लंबे समय तक जिनके इस्तेमाल से कई तरह के नुकसान हो सकते हैं, लेकिन ज्यादा नींद आने से बचने का तरीका खुद ढूंढना पड़ता है।     

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