इंसान के स्वार्थी होने के पीछे जुड़ा है नींद का कनेक्शन, रिसर्च में हैरान करने वाला खुलासा

हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए नींद बहुत ज्यादा जरूरी होती है। कम नींद की वजह से कई तरह के शारीरिक परेशानियां सामने आती है। नए रिसर्च में तो हैरान करने वाला सच सामने आया है। कम नींद लेने वाले व्यक्ति का स्वार्थी भी होता है।

Asianet News Hindi | Published : Aug 24, 2022 4:26 AM IST / Updated: Aug 24 2022, 09:58 AM IST

हेल्थ डेस्क.सभ्य समाज के कई स्तंभों में से एक हैं एक दूसरे की मदद करने की प्रवृति। हालांकि कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले के वैज्ञानिकों के नए रिसर्च में पता चलता है कि नींद की कमी इस मौलिक मानवीय गुण को कम करती है। नींद की कमी को दिल की बीमारी, डिप्रेशन, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और मृत्यु दर के बढ़ते जोखिम से जोड़ कर देखा गया है। लेकिन नए रिसर्च में पता चला है कि नींद की कमी हमारे बुनियादी सामाजिक विवेक को भी खराब करती है। यानी हमारे अंदर एक दूसरे की मदद करने की भावना कम हो जाती है। इंसान स्वार्थी होता जाता है।

नए रिसर्च के एक भाग में शोधकर्ताओं ने पाया कि बसंत में जब लोगों के नींद में एक घंटे की कमी आई तो दान में 10 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। वहीं, उन राज्यों में वो गिरावट नहीं आई जहां समय में कोई परिवर्तन नहीं होता है। यानी लोगों के नींद में कोई कमी नहीं होती है। प्रोफेसर मैथ्यू वॉकर के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में साक्ष्य के बढ़ते शरीर में यह प्रदर्शित होता है कि अपर्याप्त नींद न केवल किसी व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक भलाई को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि पारस्परिक बंधनों को भी खतरे में डालती है। और यहां तक ​​कि एक पूरे राष्ट्र की परोपकारी भावना पर भी असर डालती है।

कम नींद सामाजिक भलाई को पहुंचाता है नुकसान

मैथ्यू वॉकर ने बताया, 'हमने पिछले 20 सालों में हमारे नींद के स्वास्थ्य और हमारे मानसिक स्वास्थ्य के बीच एक बहुत ही घनिष्ठ संबंध खोजा है। नींद की कमी ना सिर्फ व्यक्ति के हेल्थ को प्रभावित करती हैं। बल्कि उसके अंदर समाजिक संबंधों के प्रति परोपकार की भावना को भी नुकसान पहुंचाती है।'  यह केवल उस व्यक्ति को ही नहीं नुकसान पहुंचाता है जो कम नींद ले रहा है, बल्कि यह हमारे आसपास के लोगों तक फैल जाता है। पर्याप्त नींद न लेना न केवल आपके स्वयं के कल्याण को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि यह अजनबियों सहित आपके पूरे सामाजिक दायरे की भलाई को भी नुकसान पहुंचाता है।

तीन चरण में किया गया रिसर्च 

नई रिपोर्ट में तीन अलग-अलग अध्ययनों का जिक्र किया गया है। जिसमें देखा गया है कि नींद की कमी लोगों की दूसरों की मदद करने की इच्छा को कैसे प्रभावित करता है। पहले अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने 24 हेल्थ वर्करों के दिमाग को एक Functional magnetic resonance imaging ((fMRI) का उपयोग करके 8 घंटे की नींद के बाद के बाद स्कैन किया। उन्होंने पाया कि एक रात की नींद के बाद मस्तिष्क के क्षेत्र जो दिमाग नेटवर्क का सिद्धांत बनाते हैं। जिसमें व्यक्ति के अंदर यह सोच पैदा होती है कि वो कैसे दूसरों की मदद करें। वो यह सोचने की अनुमति देता है कि दूसरों की जरूरत क्या है। हालांकि, जब व्यक्ति नींद से वंचित थे, तो यह नेटवर्क काफी खराब हो गया था। ऐसा लगता है कि जब हम पर्याप्त नींद नहीं लेने के बाद दूसरों के साथ बातचीत करने की कोशिश करते हैं तो मस्तिष्क के ये क्षेत्र प्रतिक्रिया नहीं देते हैं।

जो लोग पर्याप्त नींद लेते हैं उनका दिल का दरवाजा दूसरों के लिए खुला रहता है

उन्होंने एक दूसरे अध्ययन में तीन या चार रातों में 100 से अधिक लोगों को ऑनलाइन ट्रैक किया। इस समय के दौरान, शोधकर्ताओं ने उनकी नींद की गुणवत्ता को मापकर दूसरों की मदद करने की उनकी इच्छा का आकलन किया। वे कितनी देर तक सोते थे, कितनी बार जागते थे । वो किस तरह दूसरों के लिए अपने दिल का दरवाजा खोलकर रखते थे। किसी की मदद को लेकर उनका व्यवहार कैसा था। सड़क पर घायल अजनबी को देखकर कर क्या करते थे आदि।

बेन साइमन ने समझाया, 'हमने पाया कि एक रात से अगली रात तक नींद की गुणवत्ता में कमी ने दूसरों की मदद करने की इच्छा में महत्वपूर्ण कमी को दिखाया।जिन लोगों ने रात को खराब नींद ली थी, उन्होंने अगले दिन दूसरों की मदद करने के लिए कम इच्छुक और उत्सुक होने की सूचना दी।'

दान को लेकर हुआ रिसर्च 

अध्ययन का तीसरा चरण 2001 और 2016 के बीच संयुक्त राज्य अमेरिका में कइ गए 3 मिलियन धर्मार्थ दान के डेटाबेस को लेकर था। क्या डेलाइट सेविंग टाइम में एक घंटे की नींद के नुकसान से दान की संख्या में बढ़ोतरी हुआ या भी कमी। पता चला कि 10 प्रतिशत दान में कमी आई। वहीं जिन राज्यों में लोगों के नींद में एक घंटे की कमी नहीं आई वहां यह गिरावट दर्ज नहीं की गई।मतलब एक घंटे की कम नींद भी इंसान को स्वार्थी बनाता है।

नींद को बढ़ावा देने की दिशा में होना चाहिए काम

नींद की कमी के कारण लोग सामाजिक रूप से पीछे हट गए हैं और अलग-थलग पड़ गए हैं। नींद की कमी से उनके अकेलेपन की भावनाएं बढ़ गई हैं। यह खोज हमारे समाज के इन विशेष पहलुओं को सुधारने के लिए एक नया दृष्टिकोण भी सुझाती है।बेन साइमन ने कहा, 'पर्याप्त नींद न लेने के लिए लोगों को शर्मिंदा करने के बजाय, नींद को बढ़ावा देने से उन सामाजिक बंधनों को आकार देने में मदद मिल सकती है जो हम सभी हर दिन अनुभव करते हैं।'

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