इतने दिनों में खत्म हो जाता है Covishield Vaccine का असर, जानें Omicron वैरिएंट पर कितनी असरकारक है वैक्सीन

हाल ही में लैंसेट में हुई रिसर्च में खुलासा हुआ है कि कोरोना वायरस से बचने के लिए लगाई गई कोविशील्ड वैक्सीन का प्रभाव 3 महीने बाद कम हो जाता है।

Asianet News Hindi | Published : Dec 22, 2021 8:34 AM IST

हेल्थ डेस्क : पूरी दुनिया में ओमीक्रॉन (Omicron) के लगातार बढ़ रहे मामलों के बीच एक और बुरी खबर सामने आई है। दरअसल, कोविड वैक्सीन (Covid Vaccine) को लेकर लैंसेट की एक चौंकाने वाली स्टडी (Lancet Study) हुई है। जिसके अनुसार ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका वैक्सीन (Covishield) से मिली सुरक्षा दो डोज लेने के 3 महीने बाद कम हो जाती है। भारत में ज्यादातर लोगों को कोविशील्ड वैक्सीन ही लगी है। ऐसे में भारत के लिए यह और ज्यादा चिंता का सबब बनता जा रहा है, क्योंकि यहां आए दिन कोरोना के ओमीक्रॉन वैरिएंट के नए मामले सामने आ रहे हैं। हालांकि, शोधकर्ताओं ने ओमीक्रॉन वैरिएंट के खिलाफ वैक्सीन की प्रभावशीलता के बारे में बात नहीं की। ये रिसर्च कोरोना के डेल्टा वैरिएंट पर की गई है।

क्या कहती है स्टडी
हाल ही में लैंसेट ने एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड वैक्सीन ले चुके स्कॉटलैंड के 20 लाख और ब्राजील के 4.2 करोड लोगों पर यह रिसर्च की। जिसमें कहा गया है कि कोविशील्ड वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने के 3 महीने बाद इसका प्रभाव कम होने लगता है। स्कॉटलैंड में दूसरी डोज लेने के 5 महीने बाद अस्पताल में कोरोनावायरस ने मरने वालों की संख्या में 5 गुना की वृद्धि हुई है। वहीं, ब्राजील के शोधकर्ताओं ने बताया कि वैक्सीन की दूसरी डोस लेने के 4 महीने बाद इसका असर और कम हो गया। साथ ही मौत का खतरा भी करीब 3 गुना तक बढ़ गया है। स्टडी खुलासा हुआ कि एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को गंभीर बीमारी से बचने के लिए इसकी बूस्टर डोज लगवाने की जरूरत है।

ब्रिटेन के एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अजीज शेख ने 'इस रिसर्च को लेकर कहा कि कोरोनावायरस से लड़ने में वैक्सीन बहुत जरूरी है, लेकिन उसका प्रभाव हमारे लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है। ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के प्रभाव में काफी गिरावट आई है। इसकी पहचान करके हमें बूस्टर प्रोग्राम बनाने की कोशिश करनी चाहिए।'

मॉडर्ना वैक्सीन कितनी प्रभावी
वहीं, कोरोनावायरस से बचाव के लिए कई देशों में मॉडर्ना वैक्सीन लगाई गई है। हालांकि, ये वैक्सीन डेल्टा वैरिएंट पर जितनी प्रभावी है उसकी तुलना में ये ओमीक्रॉन कम कारगर है। फाइजर/बायोएनटेक ने कहा कि उनकी वैक्सीन गंभीर बीमारी से बचाने में सक्षम है। दोनों कंपनियों ने कहा है कि वह संशोधित बूस्टर वैक्सीन का निर्माण करने की तैयारी कर सकते हैं।

भारत में बेकाबू हो रहा ओमीक्रॉन
साउथ अफ्रीका से पूरी दुनिया में फैला कोरोना का नया वैरिएंट ओमीक्रॉन भारत में भी अपना कहर बरपा रहा है। अब तक पूरी दुनिया में एक लाख से ज्यादा ओमीक्रॉन के मामले सामने आ चुके हैं। इसमें सबसे ज्यादा 65 हजार मामले ब्रिटेन में सामने आए हैं। वहीं, भारत में ओमीक्रॉन के अब तक कुल 213 मामले सामने आ चुके हैं।

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