कम नींद लेने से बढ़ता है तनाव और अकेलापन, कई तरह की बीमारियां होने का रहता है खतरा

हर इंसान के लिए कम से कम 8 घंटे की नींद जरूरी है। कम नींद लेने की स्थिति में तनाव और अकेलापन तो बढ़ता ही है, कई तरह की दूसरी बीमारियां भी हो सकती हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Jan 29, 2020 10:21 AM IST

हेल्थ डेस्क। लाइफस्टाइल में बदलाव और काम के बढ़ते बोझ के चलते आज ज्यादातर लोग कम नींद ले पा रहे हैं। बहुत से लोग तो इनसोमनिया यानी नींद नहीं आने की बीमारी के शिकार हैं। वे सोने की कोशिश में बिस्तर पर करवटें बदलते रहते हैं, लेकिन नींद नहीं आती और सुबह के 3-4 बज जाते हैं। ऐसे लोगों को सोने के लिए नींद की गोलियों का सहारा लेना पड़ता है, लेकिन धीरे-धीरे उनका असर भी कम होता चला जाता है। हर इंसान के लिए कम से कम 8 घंटे की नींद जरूरी है। कम नींद लेने की स्थिति में तनाव और अकेलापन तो बढ़ता ही है, कई तरह की दूसरी बीमारियां भी हो सकती हैं। एक शोध से पता चला है कि जरूरत से कम सोने से शरीर के कई अंगों की कार्यप्रणाली खराब हो जाती है। इससे कई तरह की बीमारियां होने का खतरा रहता है।

1. तनाव 
कम सोने से व्यक्ति तनाव का शिकार जल्दी होता है। इसके साथ ही उसके स्वभाव में चिड़चिड़ापन भी आ जाता है। वह किसी भी बात पर जल्दी खीज उठता है या गुस्से में आ जाता है। ऐसे लोग क्रॉनिक डिप्रेशन की समस्या के शिकार हो सकते हैं, जिसका इलाज बेहद जटिल है। 

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2. कार्य क्षमता में कमी
नींद कम लेने से व्यक्ति के काम करने की क्षमता में कमी आने लगती है। उसे किसी बात को ठीक से समझने में ज्यादा समय लगता है। साथ ही, वह तेजी से काम नहीं कर पाता है। काम में सही परफॉर्मेंस नहीं होने से उसके करियर पर भी बुरा असर पड़ता है। इससे तनाव और भी बढ़ता है। 

3. ब्लड प्रेशर
कम सोने से ब्लड प्रेशर भी अनियमित हो जाता है। कई मामलों में चिंता और तनाव से ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। अगर ब्लड प्रेशर लगातार बढ़ा रहे तो इससे कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होने लगती हैं। साथ ही, ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने के लिए अलग से दवाई भी खानी पड़ती है। 

4. हार्ट डिजीज होने का खतरा
जिन लोगों का ब्लड प्रेशर लगातार बढ़ा रहता है, उन्हें हार्ट डिजीज होने का खतरा ज्यादा होता है। जो लोग रात में कम सोते हैं और कामकाजी होने के कारण दिन में भी झपकी नहीं ले पाते, उनमें दिल तक रक्त पहुंचाने वाली नलिकाओं में संकुचन आने लगता है। इससे दिल तक खून की पर्याप्त और नियमित सप्लाई नहीं हो पाती।

5. हो सकती हैं मानसिक बीमारियां
कम सोने से दिमाग की कार्यप्रणाली पर सबसे ज्यादा बुरा असर पड़ता है। नींद की स्थिति में दिमाग में कई तरह के केमिकल्स का स्राव बढ़ जाता है, जो अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। जो लोग कम सोते हैं, उनमें डोपामाइन का स्तर कम होता चला जाता है। इससे व्यक्ति दुखी, निराश और निरुत्साहित रहने लगता है। लंबे समय तक यह स्थिति बनी रहे तो वह कई तरह की गंभीर मानसिक बीमारियों का शिकार भी हो सकता है।

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