भारत में सबसे ज्यादा हैं डिप्रेशन के मरीज, मेंटल हेल्थ सुविधाओं की है कमी

भारत में मानसिक रोगियों की संख्या सबसे ज्यादा है। इनमें डिप्रेशन के मरीज सबसे ज्यादा हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत  में डिप्रेशन के शिकार लोग सबसे ज्यादा हैं। इसके बाद चीन और यूएसए का स्थान आता है।
 

Asianet News Hindi | Published : Nov 24, 2019 7:39 AM IST / Updated: Nov 24 2019, 01:13 PM IST

हेल्थ डेस्क। भारत में मानसिक रोगियों की संख्या सबसे ज्यादा है। इनमें डिप्रेशन के मरीज सबसे ज्यादा हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत  में डिप्रेशन के शिकार लोग सबसे ज्यादा हैं। इसके बाद चीन और यूएसए का स्थान आता है। खास बात यह है कि इतनी बड़ी संख्या में मानसिक रोगियों के होने के बावजूद उनकी चिकित्सा की सुविधाएं नहीं के बराबर हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, एक लाख मानसिक रोगियों पर एक मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक हैं। इस वजह से उन्हें जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं। डिप्रेशन यानी अवसाद के मरीजों में महिलाओं की संख्या सबसे ज्यादा है। 

हर साल 2.2 लाख लोग करते हैं सुसाइड
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, देश में हर साल करीब 2.2 लाख लोग आत्महत्या कर लेते हैं। इनमें ज्यादा संख्या उन लोगों की होती है जो डिप्रेशन के शिकार होते हैं। देखा गया है कि डिप्रेशन के शिकार वैसे ही मरीज आत्महत्या करते हैं, जिनमें यह बीमारी काफी बढ़ी होती है और उसका कोई इलाज नहीं चल रहा होता है। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज, इंजरीज एंड रिस्क फैक्टर्स स्टडी के मुताबिक, साल 2016 में भारत की जनसंख्या पूरे विश्व की जनसंख्या का 18 प्रतिशत थी। इसमें महिलाओं की आत्महत्या की दर 36.6 प्रतिशत और पुरुषों की आत्महत्या की दर 24.3 प्रतिशत थी। 

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क्यों होता है डिप्रेशन
डिप्रेशन की समस्या क्यों होती है, इसका कोई स्पष्ट कारण आज तक सामने नहीं आ सका है। लेकिन यह दुनिया की सबसे गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है। डिप्रेशन के कुछ खास लक्षण लोगों में पहले से दिखाई पड़ने लगते हैं। इनमें उदासी, काम में मन नहीं लगना, भूख की कमी, नींद नहीं आना और नकारात्मक विचार मुख्य हैं। डिप्रेशन का शिकार व्यक्ति लोगों से बातचीत करना कम कर देता है और किसी भी चीज में उसका इंटरेस्ट नहीं रह जाता।

असफलता और आर्थिक परेशानियों से बढ़ती है समस्या
वैसे तो डिप्रेशन की बीमारी किसी को हो सकती है। ऐसे लोग कुछ ऐसे लोग जो अरबपति थे, उन्होंने भी डिप्रेशन की वजह से आतमहत्या कर ली। लेकिन करियर में असफलता और आर्थिक परेशानियों की वजह से भी यह समस्या बढ़ती है। किसी करीबी की मौत, नौकरी छूट जाना, रिलेशनशिप में समस्या जैसी वजहों से उदासी और डिप्रेशन की समस्या बढ़ती है। डॉक्टरों का कहना है मस्तिष्क में कुछ केमिकल्स के कम या ज्यादा बनने से भी डिप्रेशन की समस्या होती है। इसके अलावा आनुवंशिक वजह भी बतायी जाती है। लेकिन मनोवैज्ञानिकों और मनोचिकित्सकों का मानना है कि यह बीमारी सामाजिक-पारिवारिक स्थितियों से भी पैदा होती है। 

सही चिकित्सा का अभाव
मानसिक रोगियों, खास कर डिप्रेशन के मरीजों को समय पर सही चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाती। इसकी वजह एक तो डॉक्टरों की कमी है, दूसरे इसे लेकर जागरूकता का भी अभाव है। डिप्रेशन के मरीजों की जल्दी पहचान ही नहीं हो पाती। अब डिप्रेशन के मरीजों के लिए कई तरह की दवाइयां आ गईं हैं जो काफी कारगर भी हैं, लेकिन इनका इलाज लंबा चलता है और बहुत से मरीज बीच में ही इलाज छोड़ देते हैं। खास बात यह भी है कि डिप्रेशन के मरीजों या मानसिक रोगियों के साथ परिवार और समाज में अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता। उनकी उपेक्षा की जाती है, जिससे उनका आत्मविश्वास और भी कम होने लगता है। बहरहाल, अब पहले के मुकाबले मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बढ़ी है।      

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