पुरुषों को भी हो रही ब्रेस्ट कैंसर की बीमारी, रहें अलर्ट

आम तौर पर ब्रेस्ट कैंसर की बीमारी महिलाओं को ही होती है, पर पुरुषों को भी यह बीमारी हो सकती है। बहुत लोगों का मानना है कि पुरुषों को यह बीमारी नहीं हो सकती है, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि पुरुषों की छाती के डक्ट्स और ग्लैंड्स में कैंसर के सेल बढ़ सकते हैं। औरतों में स्तन कैंसर की शुरुआत उन डक्ट्स में होती है, जो निप्पल्स तक दूध ले जाते हैं। बहरहाल, पुरुषों में स्तन कैंसर के मामले झारखंड में सामने आए हैं।

Asianet News Hindi | Published : Nov 7, 2019 4:02 AM IST / Updated: Nov 07 2019, 09:35 AM IST

हेल्थ डेस्क। आम तौर पर ब्रेस्ट कैंसर की बीमारी महिलाओं को ही होती है, पर पुरुषों को भी यह बीमारी हो सकती है। बहुत लोगों का मानना है कि पुरुषों को यह बीमारी नहीं हो सकती है, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि पुरुषों की छाती के डक्ट्स और ग्लैंड्स में कैंसर के सेल बढ़ सकते हैं। पबर्टी के बाद यानी 10-11 साल की उम्र में लड़कियों के स्तन में बदलाव शुरू होता है और उनमें वे डक्ट्स बनने लगते हैं, जो दूध को निप्पल्स तक ले जाते हैं। औरतों में स्तन कैंसर की शुरुआत इन्हीं डक्ट्स में होती है। लेकिन लड़कों और पुरुषों में भी कम मात्रा में ही सही, फीमेल हार्मोन होते हैं। बहरहाल, पुरुषों में स्तन कैंसर के मामले झारखंड में सामने आए हैं।

जानकारी के मुताबिक, पिछले दस सालों में झारखंड में पुरुषों के स्तन कैंसर के 20 मामले सामने आ चुके हैं। लेकिन बीमारी की शुरुआती अवस्था में डॉक्टर इसे पकड़ नहीं सके। जब बीमारी अंतिम अवस्था में चली गई, तब इसका पता चला और मरीजों की जान नहीं बचाई जा सकी। ज्यादातर लोग इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं होते कि पुरुषों को स्तन कैंसर हो सकता है, लेकिन इसे लेकर दुनिया भर में काफी शोध हुआ है और डॉक्टरों का कहना है कि पुरुषों को स्तन कैंसर होना कोई हैरत की बात नहीं। 

अभी हाल में झारखंड के बाराडीह में रहने वाले 50 साल के संजय सिंह में स्तन कैंसर की बीमारी पकड़ में आई है। उन्हें काफी समय से छाती और पेट में दर्द रहता था। उनका एसिटिडी और गैस का इलाज चलता रहा। लेकिन जब यह समस्या बढ़ गई तो उन्हें स्पेशलिस्ट डॉक्टर से दिखाया गया। जांच में पता चला कि उनके सीने में गांठ बन गई है। जब उसकी बायोप्सी कराई गई तो पता चला कि उनमें कैंसर के सेल हैं जो लगातार बढ़ रहे हैं। कैंसर कन्फर्म होने पर उन्हें मुंबई स्थित टाटा मेमोरियल कैंसर हॉस्पिटल में इलाज शुरू हुआ। वहां डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर कैंसर वाली गांठ निकाल दी। लेकिन 5 साल के बाद दोबारा उन्हें यह समस्या हो गई। अब उनका फिर से इलाज हो रहा है। 

रांची में भी स्तन कैंसर का एक पुरुष मरीज पाया गया, जिसका इलाज जमशेदपुर के एक अस्पताल में हो रहा है। टाटा कैंसर अस्पताल के डॉक्टरों की एक टीम उस पर रिसर्च कर रही है। डॉक्टरों का कहना है कि मेल ब्रेस्ट कैंसर के मामले बहुत कम होते हैं, इसलिए लोगों का इस पर ध्यान नहीं है। लेकिन छाती में किसी भी तरह के असामान्य दर्द को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। किसी तरह की गांठ बनी दिखती हो तो विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए।     

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