जीव वैज्ञानिकों की 4 साल की मेहनत लाई रंग, अब शरीर के बाहर इतने दिनों तक लिवर रह सकेगा जिंदा

जब 2015 में यह परियोजना शुरू हुई थी तो वैज्ञानिकों ने कहा था कि यकृत को मशीन पर केवल 12 घंटे तक जीवित रखा जा सकता है।

लंदन. अनुसंधानकर्ताओं ने एक ऐसी नई मशीन विकसित की है जो मनुष्यों के जख्मी लिवर का इलाज कर सकती है और उन्हें एक सप्ताह तक शरीर के बाहर भी जिंदा रख सकती है। इस अनुसंधान से प्रतिरोपण के लिए उपलब्ध मानव अंगों की संख्या बढ़ सकती है।

स्विट्जरलैंड में ईटीएच ज्यूरिख समेत अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, जख्मी लिवर नयी प्रौद्योगिकी के सहयोग से कई दिनों तक पूरी तरह से काम कर सकते हैं। साथ ही उनमें लिवर बीमारी या कैंसर से पीड़ित मरीजों की जान बचाने की क्षमता भी है। पत्रिका नेचर बायोटेक्नोलॉजी में छपे अनुसंधान में इस मशीन को जटिल 'परफ्यूजन' प्रणाली बताया गया है जो लिवर के कामों की नकल करती है। 

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चार साल की मेहनत लाई रंग
ईटीएच ज्यूरिख के सह-लेखक पियरे एलें क्लेवें ने कहा, ''सर्जनों, जीव वैज्ञानियों और इंजीनियरों के एक समूह की चार साल की मेहनत के बाद बनी अनोखी परफ्यूजन प्रणाली की सफलता ने प्रतिरोपण में कई नये अनुप्रयोगों का मार्ग प्रशस्त कर दिया है।'' जब 2015 में यह परियोजना शुरू हुई थी तो वैज्ञानिकों ने कहा था कि यकृत को मशीन पर केवल 12 घंटे तक जीवित रखा जा सकता है।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

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