हेडफोन छीन सकती है आपकी सुनने की शक्ति, 1 अरब युवा हो सकते हैं बहरे, स्टडी में हैरान करने वाला खुलासा

अगर आपको भी हेडफोन लगाकर तेज संगीत सुनने की आदत है तो इसे तुरंत छोड़ दीजिए। हेडफोन युवाओं की सुनने की शक्ति को छीन रहा है। नए शोध में सामने आया है कि करीब 1 अरब युवा इसके शिकार हो सकते हैं। 

Nitu Kumari | Published : Nov 16, 2022 9:05 AM IST / Updated: Nov 16 2022, 03:36 PM IST

हेल्थ डेस्क. घर हो या बाहर आपको अक्सर युवा के कानों में हेडफोन, ईयरबड्स लगे हुए दिखाई देंगे। इसमें तेज आवाज में म्यूजिक बज रहा होता है। इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स मार्केट में हेडफोन, ईयरबड्स की भरमार है, क्योंकि कंपनियों को पता चल गया है कि मोबाइल पर वीडियो और म्यूजिक सुनने के लिए हेडफोन लगाना पसंद करते हैं। लेकिन हेडफोन युवा के लिए कितना खतरनाक है इसका खुलासा लेटेस्ट स्टडी में सामने आया है। दुनिया भर के एक अरब युवाओं पर बहरेपन का खतरा मंडरा रहा है। इसकी वजह हेडफोन है।

बीएमजे ग्लोबल हेल्थ जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक एक अरब से अधिक किशोरों और युवाओं को हेडफोन और ईयरबड्स के इस्तेमाल और तेज संगीत वाले स्थानों पर मौजूदगी के कारण सुनने की क्षमता कम होने का खतरा है। अमेरिका के साउथ कैरोलिना के मेडिकल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं सहित अंतरराष्ट्रीय टीम ने कहा कि दुनिया भर की सरकारों को  कानों के हेल्थ के लिए सुरक्षित सुनने की नीतियो को तत्काल प्राथमिकता देने की जरूरत है। शोधकर्ताओं ने कहा कि सरकारों, कंपनियों और सिविल सोसाइटी को सुरक्षित सुनने के चलन को बढ़ावा देकर वैश्विक बहरेपन की रोकथाम करने के आवश्यकता है।

430 मिलियन लोग दुनिया भर में बहरेपन के शिकार हैं

शोधकर्ताओं ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का अनुमान है कि दुनिया भर में 430 मिलियन से अधिक लोग बहरेपन के शिकार हैं। उन्होंने कहा कि युवा जो व्यक्तिगत सुनने वाले उपकरणों (personal listening devices (PLDs))का उपयोग कर रहे हैं उनकी सुनने की शक्ति प्रभावित हो रही है, क्योंकि ये तय ध्वनि मानकों को नजर अंदाज करते हैं।

कानों तक पहुंचती है तय वॉल्यूम से ज्यादा आवाज

पहले प्रकाशित शोध से पता चलता है कि पीएलडी इस्तेमाल करने वाले अक्सर 105 डेसिबल (dB) के रूप में हाई वॉल्यूम का इस्तेमाल करते हैं, वहीं मनोरंजन स्थलों पर यह औसत साउंड लेबल 104 से 112 dB तक होता है। जबकि युवाओं को 80 dB और बच्चों के लिए  75 dB  में साउंड लेबल तय किया गया है।

ऐसे हुआ शोध 

शोधकर्ताओं ने टीनेजर और एडल्ट के बीच असुरक्षित सुनने के चलन का अनुमान लगाया, ताकि ये तय किया जा सकें कि वो बहरेपन के जोखिम के अंदर हैं।उन्होंने अंग्रेजी, फ्रेंच, स्पेनिश और रूसी में प्रकाशित रिसर्च डेटाबेस का पता लगया, जिसमें 12-34साल के लोग शामिल थे।   इस शोध ने पिछले दो दशकों में अंग्रेजी, स्पेनिश, फ्रेंच और रूसी में प्रकाशित 33 अध्ययनों के आंकड़ों को देखा, अपने शोध में 12-34 आयु वर्ग के 19,000 से अधिक प्रतिभागियों को शामिल किया। इसमें पाया गया कि स्मार्टफोन जैसे उपकरणों के साथ हेडफोन का उपयोग करते समय 24 प्रतिशत युवाओं में कम सुनने की दिक्कतें थी। जबकि  48 प्रतिशत मनोरंजन स्थलों जैसे संगीत कार्यक्रम या नाइट क्लबों में तेज शोर का वजह से भी लोगों में सुनने की शक्ति की हानी थी।

कैसे करें बचाव

स्टडी में निष्कर्षों को मिलाकर अनुमान लगाया गया है कि 670,000 से 1.35 अरब युवाओं के बीच बहरेपन का जोखिम हो सकता है। बहरेपन का शिकार होने से बचने के लिए जरूरी है कि वॉल्यूम कम करके और लिमिट में चीजों को सुनना सही होगा। हेडफोन यूजर्स को सेटिंग्स का इस्तेमाल करना चाहिए, फिर साउंड लेबल पर नजर रखना चाहिए। इसके साथ ही शोगुलवाली जगहों पर इयरप्लग पहनना चाहिए। ताकि सुनने की शक्ति को नुकसान ना पहुंचे।

और पढ़ें:

जानें क्या है ‘जेंटल बर्थ मेथड’, जिसकी वजह से हुई सोनम कपूर की नॉर्मल डिलीवरी

गुजरात में कीमती पत्थर तराशनेवालों को हो रही ये लाइलाज बीमारी, अबतक कई लोगों की जा चुकी है जान


 

Share this article
click me!