जानें क्या है ‘जेंटल बर्थ मेथड’, जिसकी वजह से हुई सोनम कपूर की नॉर्मल डिलीवरी

Published : Nov 16, 2022, 01:27 PM ISTUpdated : Nov 16, 2022, 02:36 PM IST
जानें क्या है ‘जेंटल बर्थ मेथड’, जिसकी वजह से हुई सोनम कपूर की नॉर्मल डिलीवरी

सार

बॉलीवुड एक्ट्रेस सोनम कपूर (Sonam Kapoor) ने 20 अगस्त 2022 को अपने पहले बच्चे को जन्म दिया। वो अपनी प्रेग्नेंसी एक्सपीरियंस को लोगों से साझा कर रही हैं।  उन्होंने बताया कि प्रेग्नेंसी के दौरान उन्होंने जेंटल बर्थ मेथड को अपनाया था। जिसकी वजह से नॉर्मल डिलिवरी हुई। आइए जानते हैं इसके बारे में। 

हेल्थ डेस्क. बॉलीवुड दीवा सोनम कपूर (Sonam Kapoor) 20 अगस्त को अपने पहले बच्चे का स्वागत किया। उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पेज पर प्रेग्नेंसी के दौरान की जर्नी को साझा किया।  उन्होंने बताया कि कैसे वो अपने बेटे को जन्म देने के लिए  ‘जेंटल बर्थ मेथड’ (Gentle Birth Method) की मदद ली थी। वो बताती हैं कि वो नॉर्मल और तरीके से बेबी को इस दुनिया में लाना चाहती थी। वो चाहती थी कि उनका बच्चा नेचुरल तरीके से हो जिसमें मेडिकल हस्तक्षेप कम से कम हो। इसमें  डॉ. गौरी मोथा  ने उनकी मदद की।  डॉ. गौरी मोथा  ने जेंटल बर्थ मेथड नाम की एक किताब भी लिखी है , जिसमें उन्होंने बताया कि बच्चे के जन्म के पहले की दिक्कतों से कैसे निपटा जाए। चलिए जानते हैं जेंटल बर्थ मेथड क्या है।

‘जेंटल बर्थ मेथड’ के जरिए होने वाली मां के अंदर भरा जाता है पॉजिटिविटी

दरअसल, ‘जेंटल बर्थ मेथड’ डॉ गौरी मोथ की डिजाइन की गई तकनीक है। प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाएं इस तकनीक को अपनाकर आरामदायक, शांत और आत्मविश्वास के साथ बच्चे को जन्म देती हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो यह तकनीक ब्रिटेन में काफी वक्त से चल रहा है। अब यह भारत समेत दुनिया भर में फैलने लगा है। 

‘जेंटल बर्थ मेथड’  में 18 महीनों तक होने वाली मां को शुगर फ्री भोजन दिया जाता है। इसके साथ ही कई तरह के योगा कराए जाते हैं। यह एक तरह का वेलनेस प्रोग्राम है। जिसमें मन और शरीर की पॉजिटिविटी शामिल है।

जेंटल बर्थ मेथड के स्टेज

जेंटल बर्थ मेथड के मुताबिक शरीर को शांत और पॉजिटिव रहने के लिए योग और ध्यान कराए जाते हैं।डिलीवरी डेट से 4 महीने शुगर फ्री और गेहूं फ्री भोजन दिया जाता है। इसके अलावा प्रेग्नेंट महिलाओं को पॉजिटिव डिलीवरी की कल्पना करने को कहा जाता है। साथ ही हिप्नोथेरेपी की जाती है। ताकि वो सहज और शांत डिलीवरी की कल्पना कर सकें। इसके साथ प्रेग्नेंट मां को गर्भ में पल रहे बच्चे के साथ इमोशनली अटैच होना सिखाया जाता है।

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