प्रेग्नेंसी के दौरान टेंशन से बच्चे पर खतरनाक असर, अमेरिकी रिसर्च में डराने वाला खुलासा

अगर आप मां बनने वाली हैं तो अपने होने वाले बच्चे के दुश्मन को पहचान लीजिए। वरना आपकी लापरवाही का खामियाजा आपके बच्चे को भुगतना पड़ सकता है। 

Nitu Kumari | Published : Sep 9, 2022 3:30 PM IST

हेल्थ डेस्क. प्रेग्नेंसी के दौरान हर महिला को ज्यादा से ज्यादा खुश रहने की नसीहत दी जाती है। डॉक्टर भी कहते हैं कि स्वस्थ बच्चे के लिए मां को किसी भी तरह के तनाव और अवसाद से दूर रहना चाहिए। अब अमेरिका में हुए एक शोध में यह बात पूरी तरह साबित हो गई है कि गर्भवती मां की मानसिक हालत का आने वाले बच्चे पर असर पड़ना तय है। प्रेगनेंसी के दौरान मां का तनावग्रस्त होना बच्चे के लिए काफी खतरनाक हो सकता है। 

गर्भवती महिलाओं को अलर्ट करने वाली रिसर्च

अमेरिका की इन्फैंसी नाम की एक शोध पत्रिका में जो रिपोर्ट छपी है वो दुनिया की तमाम गर्भवती महिलाओं के लिए बड़ी चेतावनी है। रिसर्च के मुताबिक, जो गर्भवती महिलाएं डर, उदासी या तनाव में रहती हैं, उनके गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी उसका बुरा असर पड़ता है। यानी अगर गर्भवती महिला को ज्यादा गुस्सा आता है, कोई डर या चिड़चिड़ापन महसूस करती है, या फिर डिप्रेशन में रहती है तो उसके गर्भ में मौजूद बच्चे पर भी उसका असर पड़ना तय है। 

प्रेग्नेंट महिला पर पहली बार ऐसा रिसर्च 

इससे पहले भी रिसर्च में यह बात सामने आ चुकी है कि प्रेग्नेंसी के दौरान मां की मानसिक हालत के बच्चे के स्वभाव और बर्ताव पर पड़ता है। लेकिन ऐसा पहली बार है जब प्रेग्नेंट महिला के अलग अलग मौकों पर होने वाले तनाव और उससे गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ने वाले असर का इतनी बारीकी से मुआयना किया गया। यह रिसर्च नॉर्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी फिनबर्ग स्कूल ऑफ मेडिसिन के मेडिकल सोशल साइंसेस में शोध सहायक प्रोफेसर और नॉर्थ वेस्टर्न इंस्टिट्यूट फॉर इनोवेशंस इन डेवलपमेंट साइंसेस में सदस्य लीगा मैकनील ने की है। 

प्रेग्नेंट महिला के रोजमर्रा के तनाव का अध्ययन

रिसर्च के दौरान गर्भवती महिला की रोजमर्रा की जिंदगी में तनाव के स्तर का अध्ययन किया गया। शोध में यह पाया गया कि जो महिला प्रेग्नेंसी के दौरान लगातार एक स्तर के तनाव में रहती है और जो महिला कभी कम तो कभी ज्यादा तनाव का सामना करती है, दोनों स्थितियों में पैदा होने वाले बच्चे पर समान रूप से बुरा असर पड़ता है। तनाव का स्तर प्रेग्नेंसी के पहले 14 हफ्तों में अलग स्तर का रहता है जबकि उसके बाद अलग स्तर का।

रिसर्च को मकसद माता-पिता को सावधान करना

इस रिसर्च का मकसद माता-पिता दोनों को यह संदेश देना है कि प्रेग्नेंसी में महिला को तनाव से दूर रखें। तनाव की सूरत में डॉक्टर और एक्सपर्ट की मदद लें ताकि ऐसी मानसिक अवस्था का सही उपचार हो सके। स्वस्थ बच्चे के लिए यह जरूरी है कि माता-पिता दोनों मिलकर परिवार के अंदर खुशनुमा माहौल बनाएं और किसी भी मुश्किल स्थिति में एक-दूसरे की मदद से समस्या का समाधान करें।

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