अभी तक यह माना जा रहा था कि कोरोना वायरस का संक्रमण पहले से इस बीमारी से पीड़ित लोगों के छींकने और खांसने से होता है, लेकिन अमेरिका के एक वैज्ञानिक का कहना है कि रिसर्च से पता चला है कि कोरोना वायरस का संक्रमण सांस के जरिए भी फैल सकता है। इसलिए इससे बचाव के लिए हर किसी को मास्क पहनना चाहिए।
हेल्थ डेस्क। कोरोनोवायरस सांस लेने और बोलने से भी हवा में फैल सकता है और लोगों को संक्रमित कर सकता है। अमेरिका के एक वैज्ञानिक ने शुक्रवार को कहा कि हाल ही में हुए एक रिसर्च से यह पता चला है, इसलिए इससे बचाव के लिए सभी को फेस मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए। जबकि अभी तक यह माना जा रहा था कि कोरोना वायरस का संक्रमण पहले से इस बीमारी से पीड़ित लोगों के छींकने और खांसने से होता है और हवा में यह वायरस नहीं होता। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ में इन्फेक्शस डिजीज के प्रमुख एंथोनी फॉसी ने कहा कि हाल में हुए एक रिसर्च के मुताबिक, कोरोना वायरस तब भी फैल सकता है, जब लोग एक-दूसरे से बातचीत करते हैं। सिर्फ खांसने और छींकने से ही यह वायरस नहीं फैलता।
जरूरी है बचाव के लिए फेस मास्क
लोगों को सलाह दी जा रही है कि सिर्फ कोरोना से संक्रमित लोग ही नहीं, बल्कि सभी लोगों को फेस मास्क का इस्तेमाल करने की जरूरत है। साथ ही, जो लोग घरों में रह रहे हैं, उन्हें भी सुरक्षा के लिहाज से फेस मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए। नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (एनएएस) ने 1 अप्रैल को व्हाइट हाउस को एक पत्र लिख कर इस रिसर्च के बारे में बताया था।
शोध के नतीजे निर्णायक नहीं
हालांकि, नेशनल एकेडमी ऑफ सांइसेस (एनएएस) ने कहा है कि शोध के नतीजों को अभी निर्णायक नहीं माना जा सकता है। लेकिन एकेडमी का कहना है कि अभी तक जो अध्ययन हुए हैं, उनसे यह पता चला है कि सांस से वायरस का एरोसोलाइजेशन हो सकता है, यानी ये हवा में फैल सकते हैं। अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसियों का कहना है कि वायरस बीमार लोगों के छींकने और खांसने से निकलने वाले ड्रॉपले्टस के जरिए फैलता है जो आकार में एक मिलीमीटर के होते हैं। ये जल्दी ही एक मीटर की दूरी पर जमीन पर गिर जाते हैं। लेकिन यह वायरस हवा में भी फैल सकता है। इसलिए फेस मास्क पहनना हर हाल में जरूरी है।
हवा में रह सकता है कोरोना वायरस
न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में भी यह कहा गया है कि SARS-CoV-2 वायरस हवा में 3 घंटे तक रह सकता है। यह अध्ययन अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) द्वारा करवाया गया था। लेकिन इसे लेकर भी वैज्ञानिकों में मतभेद है। कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि अध्ययन के दौरान रिसर्च टीम ने नेबुलाइजर का इस्तेमाल किया, ताकि जानबूझकर वायरल धुंध पैदा की जा सके और कहा कि स्वाभाविक रूप से ऐसा नहीं होगा। बहरहाल, सभी वैज्ञानिकों का कहना है कि वायरस से सुरक्षा के लिए सभी को फेस मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए।