अक्सर लोग सिरदर्द से राहत पाने के लिए ठंडे तेल का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन एक शोध से पता चला है कि इस तेल का ज्यादा इस्तेमाल करने से लकवा भी मार सकता है।
हेल्थ डेस्क। अक्सर लोग सिरदर्द से राहत पाने के लिए ठंडे तेल का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन एक शोध से पता चला है कि इस तेल का ज्यादा इस्तेमाल करने से लकवा भी मार सकता है। यह शोध बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के न्यूरोलॉजी विभाग में हुआ है। शोध की रिपोर्ट के अनुसार, न्यूरोलॉजी विभाग में प्रोफेसर विजयनाथ मिश्र और उनकी टीम ने ऐसे मरीजों पर एक शोध किया जो रोज ही सिर में ठंडा तेल लगाते हैं। बाजार में तरह-तरह के ऐसे तेल मिलते हैं, जिनके बारे में दावा किया जाता है कि वे आयुर्वैदिक तरीके से बनाए गए हैं। शोध में यह पाया गया कि ऐसे तेल में मिलाए गए जरूरत से ज्यादा कपूर और पिपरमेंट से दिमाग की कोशिकाओं पर बुरा असर पड़ता है। इसका असर इस हद तक खतरनाक हो सकता है कि लकवा जैसी बीमारी भी हो सकती है।
500 मरीजों पर 5 साल तक हुई स्टडी
प्रोफेसर विजयनाथ मिश्र और लाइफ साइंस के डॉक्टर अभय सिंह ने पिछले 5 साल के दौरान ऐसे 500 मरीजों को अपने अध्ययन में शामिल किया जो रोज ठंडा तेल लगाते थे। इनमें से कई मरीजों में लकवा होने की संभावना पाई गई। यह स्टडी आईजीएम पब्लिकेशन के जर्नल ऑफ मेडिकल साइंस एंड क्लीनिकल रिसर्च में पब्लिश करने के लिए भेजी गई है।
मरने लगती हैं दिमाग की कोशिकाएं
प्रोफेसर मिश्र का कहना है कि ऐसे तेल के ज्यादा इस्तेमाल से दिमाग की कोशिकाएं मरने लगती हैं। इसकी वजह है कपूर की परत का सिर पर जमते चला जाना। दिमाग की कोशिकाओं के क्षतिग्रस्त होने से लकवा जैसी बीमारी हो सकती है। ठंडा तेल का इस्तेमाल लोग सिरदर्द, थकान और नींद नहीं आने पर करते हैं। इससे तत्काल तो थोड़ी राहत मिलती है, पर इसे लगाने की आदत हो जाती है। जब तेल नहीं मिलता तो लोगों को बेचैनी और चिड़चिड़ाहट होने लगती है और बिना तेल लगाए नींद नहीं आती।
सैकड़ों ब्रांड हैं बाजार में
प्रोफेसर मिश्र का कहना है कि ठंडा तेल के सैकड़ों ब्रांड बाजार में मौजूद हैं और लगभग सभी में कपूर की मात्रा निर्धारित मानक से बहुत ज्यादा है। तेल में 11 फीसदी से ज्यादा कपूर की मात्रा नहीं होनी चाहिए, लेकिन ठंडक का एहसास कराने के लिए तेल निर्माता ज्यादा कपूर और पिपरमेंट का इस्तेमाल करते हैं। इसलिए ऐसे तेल का इस्तेमाल खतरनाक हो सकता है।