वजन कम करने के लिए क्या आप भी अपनाते हैं ये तरीका, तो मां बनने में आ सकती है परेशानी: रिसर्च

वजन कम करने के लिए लोग ना जाने क्या कुछ नहीं करते है। उन्हीं में से एक तरीका है इंटरमिटेंट फास्टिंग, जो आजकल काफी चलन में है। लेकिन हाल ही में एक रिसर्च के अनुसार इस तरह से वजन कम करने से महिलाओं को मां बनने समेत कई अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं।

हेल्थ डेस्क: बढ़ा हुआ वजन किसी को पसंद नहीं आता है। हर इंसान फिट और हेल्दी रहना चाहता और इसके लिए लोग ना जाने क्या कुछ नहीं करते हैं। कोई जिम में घंटों वक्त बिताता है तो कोई डाइट कंट्रोल करके वजन कम करता है। इन्हीं में से एक है इंटरमिटेंट फास्टिंग, जिसमें 6 से 8 घंटे के लिए या उससे ज्यादा समय तक के लिए उपवास रखा जाता है और इस दौरान व्यक्ति कुछ नहीं खाता है। वजन कम करने के लिए काफी कारगर है। कहा जाता है कि 3 से 24 सप्ताह में शरीर का 3 से 8% तक वजन कम हो जाता है। लेकिन हाल ही में हुई एक रिसर्च के अनुसार इंटरमिटेंट फास्टिंग महिलाओं के लिए हानिकारक हो सकती है। आइए आपको बताते हैं कहां हुई यह रिसर्च और इसके जोखिम क्या है...

क्या है यह रिसर्च 
हाल ही में जनरल ओबेसिटी में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से महिलाओं में डीएचईए (Dehydroepiandrosterone) हार्मोन असंतुलित हो जाता है। जिससे शरीर में आवश्यक हार्मोन के उत्पादन में कमी आ जाती है। इससे महिलाओं के अंडे की गुणवत्ता और ओवरी का काम भी प्रभावित होता है। डीएचईए टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजन जैसे कई हार्मोन के उत्पादन में मदद करता है और इसकी कमी से आगे जाकर महिलाओं में यौन रोग, सेक्स ड्राइव की कमी, बांझपन आदि का खतरा बढ़ जाता है।

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हार्मोनों के स्तर में हुई कमी 
शिकागो में स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस में चीफ रिसर्चर डॉ क्रिस्टा वैरिटी के नेतृत्व में 8 हफ्तों तक महिलाओं की इंटरमिटेंट फास्टिंग पर अध्ययन किया गया। जिसमें पाया गया कि इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से महिलाओं का वजन तो कम हुआ, लेकिन इसके कारण महिलाओं में डीएचईए हार्मोन स्तर में कमी आई।  मोनोपॉज के पहले और बाद की दोनों स्थिति में महिलाओं में इस हार्मोन की कमी देखी गई। शोधकर्ताओं ने बताया कि जो महिला मां बनना चाह रही है फिलहाल उनके लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग सुरक्षित विकल्प नहीं है। इतना ही नहीं जिन महिलाओं ने कंसीव किया हुआ है उन्हें भी इंटरमिटेंट फास्टिंग नहीं करनी चाहिए। इससे बच्चे के स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है।

निष्कर्ष 
बता दें कि डीएचईए हार्मोन प्रजनन के लिए आवश्यक हार्मोन होता है और अंडों की गुणवत्ता इससे बढ़ती है। इसकी कमी के कारण मां बनने में समस्या हो सकती है। इतना ही नहीं मोनोपॉज के बाद भी इस हार्मोन में गिरावट कई गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती है। ऐसे में अध्ययनकर्ताओं ने माना की इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से पहले आपको अपने डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। वजन कम करने के लिए दूसरे भी अन्य सुरक्षित विकल्प है जिनका प्रयोग आप कर सकते हैं। 

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