दुर्लभ किस्म की बीमारियों में मिलेगी 20 लाख रुपए की सरकारी सहायता, जानें क्या है इन्हें लेकर नेशनल पॉलिसी

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन (Dr. Harshvardhan) ने दुर्लभ बीमारियों (Rare Diseases) के लिए राष्ट्रीय नीति, 2021 को मंजूरी दे दी है। इसके तहत दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति को 20 लाख रुपए तक की आर्थिक सहायता दी जा सकती है।
 

Asianet News Hindi | Published : Apr 5, 2021 6:23 AM IST / Updated: Apr 05 2021, 01:41 PM IST

हेल्थ डेस्क। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन (Dr. Harshvardhan) ने दुर्लभ बीमारियों (Rare Diseases) के लिए राष्ट्रीय नीति, 2021 को मंजूरी दे दी है। इसके तहत दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति को 20 लाख रुपए तक की आर्थिक सहायता दी जा सकती है। इस नीति का मकसद दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए देशी दवाएं उपलब्ध कराना, देश में रिसर्च को प्रोत्साहित करना, बीमारी के इलाज में आने वाले खर्च को कम करना और दवाइयों के स्थानीय उत्पादन पर जोर देना है। मंत्रालय के आधिकारिक बयान के मुताबिक, राष्ट्रीय आरोग्य निधि योजना के तहत उन दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए 20 लाख रुपए तक की वित्तीय सहायता का प्रावधान किया गया है, जो दुर्लभ बीमारी नीति में समूह-1 के तहत लिस्टेड हैं। इस योजना का लाभ देश की 40 फीसदी आबादी को मिलेगा। कहा गया है कि दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए वित्तीय सहायता का प्रस्ताव राष्ट्रीय आरोग्य निधि (RAN) योजना के तहत किया गया है।

स्वदेशी रिसर्च को प्रोत्साहन
राष्ट्रीय नीति के तहत रेयर डिजीज के इलाज में होने वाले खर्च को कम करने के लिए स्वदेशी रिसर्च को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिए दवाइयों का निर्माण देश में ही किया जाएगा। रेयर डिजीज से पीड़ित लोगों को अधिकतम 20 लाख रुपए की सहायता दी जाएगी। इसमें उन लोगों को भी शामिल किया जाएगा, जो प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत पात्र हैं। रेयर डिजीज में लोगों को मदद पहुंचाने के लिए क्राउड फंडिंग की व्यवस्था की जाएगी। इसमें कॉरपोरेट और हर तरह के व्यक्तियों का सहयोग लिया जाएगा।
 
अस्पताल आधारित होगा रजिस्ट्रेशन
रेयर डिजीज के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक अस्पताल आधारित रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था की जाएगी। इसमें हर तरह के डेटा उपलब्ध होंगे। इससे लोग रिसर्च और डेवलपमेंट के लिए एक प्लेटफॉर्म से डेटा की जानकारी ले सकेंगे। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेन्शन सेंटर और काउंसलिंग के जरिए रेयर डिजीज की पहचान शुरुआती स्टेज में ही कर ली जाएगी। बता दें कि रेयर डिजीज पर राष्ट्रीय नीति बनाने से पहले हेल्थ मिनिस्ट्री ने 13 जनवरी, 2020 को सुझाव मांगे थे।

दवाइयों के निर्माण पर दिया जाएगा जोर
रेयर डिजीज पर देश में रिसर्च की काफी कमी है। इसके अलावा, जरूरी और पर्याप्त दवाइयों का भी अभाव है। रेयर डिजीज को लेकर लोगों में जागरूकता नहीं के बराबर है। इसे लेकर देश के कई अदालतों ने सरकार से इस पर नीति बनाने के लिए कहा था। इन सभी बातों के मद्देनजर केंद्र सरकार ने नेशनल पॉलिसी फॉर रेयर डिजीज 2021 बनाई है। इसके तहत सबसे पहले रिसर्च को बढ़ावा देने का प्रयास किया जाएगा और देश में दवाइयों के निर्माण पर जोर दिया जाएगा। 

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