हाथ-पैर में आता है ज्यादा पसीना? इन बीमारी का हो सकता है खतरा

हेल्थ डेस्क।    गर्मियों  का मौसम शरु हो चुका है।  इस मौसम में पसीना आना एक आम बात है, लेकिन जरूरत से ज्यादा पसीना आना न प्रॉब्लम पैदा करता है। आमतौर पर पसीना आने को स्वास्थ्य की दृष्टि से फायदेमंद माना जाता है। लेकिन ज्यादा पसीना आने से कई खतरनाक बीमारियों का खतरा बढ़ता है। हाथ-पैर में ज्यादा पसीना आना स्वभाविक नहीं है, हाइपरहाइड्रोसिस का संकेत हो सकता है। हाइपरहाइड्रोसिस बीमारी दो प्रकार की होती है, प्राइमरी और सेकेंड्री। प्राइमरी हाइपरहाइड्रोसिस में पसीना आने के पीछे कोई गंभीर कारण ही हो, ऐसा जरूरी नहीं है। लेकिन सेकेंड्री हाइपरहाइड्रोसिस से पीड़ित मरीज कई बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। केंड्री हाइपरहाइड्रोसिस हाई ब्लड शुगर, लो ब्लड शुगर, हाइपर थायरॉइडिज्म जैसी कई बीमारियों को बुलावा देता है।

क्या हैं हाइपरहाइड्रोसिस के पीछे की वजह
स्वेट ग्लैंड के ओवर एक्टिव होने के कई कारण हो सकते हैं। इनमें स्मोकिंग, स्ट्रेस, प्रेग्नेंसी अथवा मेनोपॉज शामिल हैं। इसके अलावा, दूसरी गंभीर बीमारियां जैसे कि डायबिटीज, मेनोपॉज, थायरॉयड, कैंसर और मोटापा से पीड़ित मरीजों में भी ये परेशानी देखने को मिलती है।

Asianet News Hindi | / Updated: Mar 10 2021, 08:30 AM IST

हेल्थ डेस्क।   गर्मियों  का मौसम शरु हो चुका है।  इस मौसम में पसीना आना एक आम बात है, लेकिन जरूरत से ज्यादा पसीना आना न प्रॉब्लम पैदा करता है। आमतौर पर पसीना आने को स्वास्थ्य की दृष्टि से फायदेमंद माना जाता है। लेकिन ज्यादा पसीना आने से कई खतरनाक बीमारियों का खतरा बढ़ता है। हाथ-पैर में ज्यादा पसीना आना स्वभाविक नहीं है, हाइपरहाइड्रोसिस का संकेत हो सकता है। हाइपरहाइड्रोसिस बीमारी दो प्रकार की होती है, प्राइमरी और सेकेंड्री। प्राइमरी हाइपरहाइड्रोसिस में पसीना आने के पीछे कोई गंभीर कारण ही हो, ऐसा जरूरी नहीं है। लेकिन सेकेंड्री हाइपरहाइड्रोसिस से पीड़ित मरीज कई बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। केंड्री हाइपरहाइड्रोसिस हाई ब्लड शुगर, लो ब्लड शुगर, हाइपर थायरॉइडिज्म जैसी कई बीमारियों को बुलावा देता है।

क्या हैं हाइपरहाइड्रोसिस के पीछे की वजह
स्वेट ग्लैंड के ओवर एक्टिव होने के कई कारण हो सकते हैं। इनमें स्मोकिंग, स्ट्रेस, प्रेग्नेंसी अथवा मेनोपॉज शामिल हैं। इसके अलावा, दूसरी गंभीर बीमारियां जैसे कि डायबिटीज, मेनोपॉज, थायरॉयड, कैंसर और मोटापा से पीड़ित मरीजों में भी ये परेशानी देखने को मिलती है।


 

Share this article
click me!