केसर से होगा मिर्गी के दौरों का इलाज, वर्षों के शोध के बाद तैयार हुई दवा

केसर एक ऐसा मसाला है जिसके इस्तेमाल से स्वास्थ्य संबंधी कई तरह के फायदे होते हैं। केसर का उपयोग सैकड़ों सालों से कई तरह के मिष्ठानों को बनाने में भी किया जाता रहा है। इसकी खुशबू बहुत अच्छी होती है।  

Asianet News Hindi | Published : Jan 16, 2020 3:37 AM IST / Updated: Jan 16 2020, 09:10 AM IST

हेल्थ डेस्क। केसर एक ऐसा मसाला है जिसके इस्तेमाल से स्वास्थ्य संबंधी कई तरह के फायदे होते हैं। केसर का उपयोग सैकड़ों सालों से कई तरह के मिष्ठानों को बनाने में भी किया जाता रहा है। इसकी खुशबू बहुत अच्छी होती है। केसर का सबसे ज्यादा उत्पादन कश्मीर में होता है। वैसे, दुनिया के पैमाने पर केसर सबसे ज्यादा ईरान में पैदा किया जाता है। केसर का इस्तेमाल कई तरह की दवाइयों में किया जाता है, लेकिन अभी हाल में वर्षों के शोध के बाद काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) ने इससे एक ऐसी दवा बनाई है, जिससे मिर्गी के मरीजों का इलाज किया जाएगा। 

चूहों पर हुआ सफल प्रयोग
मिर्गी के दौरों के इलाज के लिए केसर से दवा सीएसआईआर-आईएचबीटी की लेबोरेटरी में तैयार की गई है। इसका सफल प्रयोग चूहों पर किया जा चुका है। शोध के दौरान पता चला कि केसर के पराग में ऐसे तत्व होते हैं, जिनसे मिर्गी के दौरों को कम किया जा सकता है या उन पर काबू पाया जा सकता है। इसके बाद दवा बनाने की कोशिश शुरू की गई। इस दवा का सफल ट्रायल हो चुका है।

कई राज्यों में शुरू होगा केसर का उत्पादन
बता दें कि देश में केसर की जितनी खपत है, उतना उत्पादन नहीं हो पाता। दूसरे देशों से केसर का आयात करना पड़ता है। ईरान वह प्रमुख देश है, जहां से सबसे ज्यादा मात्रा में केसर का आयात होता है। लेकिन हिमालयी बायोसाइट्स प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी), पालमपुर ने देश के कई राज्यों में केसर के उत्पादन की योजना बनाई है। आईएचबीटी के निदेशक डॉक्टर संजय कुमार का कहना है कि केसर का उत्पादन तमिलनाडु के बुटीक, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। 

सीएसआईआर ने भी शुरू की केसर की खेती
केसर की बढ़ती जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सीएसआईआर ने हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में इसकी खेती का सफल प्रयोग किया है। सीएसआईआर ने सबसे पहले हिमाचल प्रदेश के भरमौर में केसर के उत्पादन में सफलता हासिल की। भरमौर में केसर की पैदावार प्रति हेक्टेयर 2.8 किलोग्राम रही है। दूसरे राज्यों में भी केसर के उत्पादन के लिए कोशिश जारी है। 

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