कोरोना वायरस के फैलने के कारण दुनिया के कई देशों के साथ भारत में भी लॉकडाउन घोषित कर दिया गया है। इससे लोग घरों में बंद रहने को मजबूर हो गए हैं। इसका असर लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत ही खराब पड़ रहा है।
हेल्थ डेस्क। कोरोना वायरस के फैलने के कारण दुनिया के कई देशों के साथ भारत में भी लॉकडाउन घोषित कर दिया गया है। इससे लोग घरों में बंद रहने को मजबूर हो गए हैं। इसका असर लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत ही खराब पड़ रहा है। पूरी दुनिया में लोग इसकी वजह से तरह-तरह की मानसिक समस्याओं के शिकार हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस दौरान लोगों को अपने मानसिक स्वास्थ्य का खास ख्याल रखने को कहा है। इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी के एक सर्वे में यह कहा गया है कि कोरोना वायरस का मामला सामने आने के बाद देश में मानसिक रोगों से पीड़ित मरीजों की संख्या में 15 से 20 फीसदी तक वृद्धि हुई है। लॉकडाउन के कारण लोगों को जरूरी चीजों की दिक्कत हो रही है, उनके बिजनेस, नौकरी और आमदनी के स्रोतों पर खतरा मंडरा रहा है। इससे लोगों में चिंता का होना स्वाभाविक है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च का कहना है कि भारत में हर 5 में से एक आदमी किसी न किसी मानसिक बीमारी का शिकार है, वहीं इसे लेकर चिकित्सा सुविधाएं की कमी है। कोरोना वायरस की वजह से जिन लोगों को क्वारंटाइन में रखा जाता है, उन्हें मानसिक समस्याओं का सामना तो करना पड़ ही रहा है, उनकी चिकित्सा में लगे डॉक्टरों और हेल्थ वर्कर्स भी मानसिक समस्याओं के शिकार हो रहे हैं।
कैसे लक्षण आते हैं सामने
मेडिकल जर्नल लैंसेट में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, जो लोग लॉकडाउन के कारण घरों में बद हैं या क्वारंटाइन में रह रहे हैं, उनमें डर, घबरहाट, उदासी, चिंता, अवसाद, नींद नहीं आना और बेवजह गुस्सा आने जैसी समस्याएं पैदा होती हैं। बच्चों को घर में बंद रहने से ज्यादा तनाव का सामना करना पड़ता है। वे इन समस्याओं को ठीक से समझ नहीं पाते हैं। चीन में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि इस तरह की समस्याएं लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी बनी रह सकती हैं। लोग भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचने लगते हैं, उनमें घबराहट और उदासी की समस्या लंबे समय तक बनी रह सकती है। जो लोग पहले से किसी मानसिक बीमारी के शिकार हैं, उनकी हालत लॉकडाउन में ज्यादा खराब हो सकती है। सबसे बड़ी दिक्कत तो यह है कि इस दौरान वे डॉक्टरों से मिल कर सलाह भी नहीं ले सकते। ऐसी हालत में इन 5 तरीकों को अपना कर राहत पाई जा सकती है।
1. हेल्दी डाइट लें
चिंता, घबराहट और अवसाद की स्थिति में लोगों की भूख कम हो जाती है या फिर उन्हें भूख होने के बावजूद खाना खाने की इच्छा नहीं होती। सही पोषण नहीं मिलने से मानसिक समस्याएं और भी बढ़ती हैं। इसलिए हर हाल में हेल्दी डाइट लेने की कोशिश करें। भोजन में हरी सब्जियां, दाल, फल, दूध, दही पर्याप्त मात्रा में लें। एक बार ज्यादा मात्रा में खाना खाने की जगह थोड़ा-थोड़ा कर कई बार खाएं।
2. एक्सरसाइज और योग करें
तनाव, चिंता और अवसाद से बचने के लिए एक्सरसाइज और योग करने से काफी फायदा होता है। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने भी लोगों को योग और प्राणायाम करने की सलाह दी है। इसलिए लॉकडाउन के दौरान नियमित तौर पर योग और एक्सरसाइज करते रहें।
3. अकेले नहीं रहें
कभी भी अकेले नहीं रहें। परिवार के लोगों के बीच समय बिताएं। आपस में बातचीत करें। बच्चों को समय दें। खाली पड़े रहने से चिंता और अवसाद की समस्या बढ़ती है। सकारात्मक सोच बनाए रखें। परिवार के लोगों के बीच बैठने और बातचीत करने से चिंता और घबराहट से बचाव होगा।
4. संगीत सुनें
तनाव और चिंता की समस्या में संगीत सुनने से काफी राहत मिलती है। इसलिए थोड़ा वक्त संगीत सुनने में जरूर दें। ज्यादा शोर-शराबे वाला संगीत मत बजाएं। ऐसा संगीत सुनें जिससे मन को शांति मिले और आत्मविश्वास बढ़े। भक्तिपरक संगीत भी सुन सकते हैं।
5. मादक पदार्थों का सेवन मत करें
कुछ लोग चिंता और किसी तरह की परेशानी होने पर शराब या दूसरे मादक पदार्थों का इस्तेमाल करने लगते हैं। इससे तात्कालिक राहत तो मिलती है, लेकिन बाद में ज्यादा तनाव महसूस होने लगता है। इससे इम्युनिटी पर भी बुरा असर होता है। अगर ज्यादा परेशानी महसूस कर रहे हों तो अपने डॉक्टर से फोन पर संपर्क कर सलाह लें। अगर डॉक्टर एंग्जाइटी और तनाव कम करने के लिए कोई दवा लेने की सलाह देते हों, तो उसे लें। समस्या ज्यादा बढ़ने पर दवा लेने तत्काल राहत मिल जाती है।