इन 5 बातों से पता चलता है कि बच्चे हो रहे हैं डिप्रेशन का शिकार, रखें उनका ध्यान

तनाव और डिप्रेशन की समस्या के शिकार सिर्फ वयस्क ही नहीं हो रहे हैं, आजकल बच्चे भी इस समस्या से जूझ रहे हैं।

Asianet News Hindi | Published : Feb 20, 2020 3:51 AM IST

हेल्थ डेस्क। बदलती जीवनशैली और बढ़ती आपाधापी के कारण आजकल ज्यादातर लोग तनाव के शिकार हो रहे हैं। लंबे समय तक तनावग्रस्त रहने पर डिप्रेशन की समस्या पैदा हो जाती है, जो एक गंभीर मानसिक बीमारी का रूप ले लेती है। अक्सर लोग सोचते हैं कि तनाव और अवसाद की समस्या सिर्फ वयस्कों को होती है, बच्चे इससे दूर ही रहते हैं। लेकिन यह सच नहीं है। अब बच्चे भी तनाव और डिप्रेशन की समस्या का शिकार हो रहे हैं। इसकी वजह उन पर पड़ने वाले तरह-तरह के दबाव होते हैं। अक्सर अभिभावक भी बच्चों पर पढ़ाई और दूसरी बातों को लेकर ज्यादा दबाव डालने लगते हैं। बच्चों को परीक्षा में ज्यादा से ज्यादा मार्क्स लाने के साथ ही और भी कई तरह की चिंता होती है। कई बार उन्हें स्कूल में या दोस्तों के बीच बुलिंग की समस्या का सामना करना पड़ता है। यौन शोषण का शिकार होने पर भी बच्चे अवसाद में डूब जाते हैं। इसलिए अभिभवकों को इसे लेकर सतर्क रहना चाहिए। कुछ खास लक्षणों से पता लगता है कि बच्चा डिप्रेशन का शिकार हो रहा है। 

1. नींद कम आना
अगर बच्चा तनाव या डिप्रेशन का शिकार हो तो उसे ठीक से नींद नहीं आती। वह देर तक जागता रहता है। कोशिश करने पर भी नींद नहीं आती। नींद आने पर बुरे सपने आते हैं, जिससे बच्चा डर कर जाग जाता है। तनाव और डिप्रेशन से पीड़ित बच्चों की नींद सुबह बहुत जल्दी खुल जाती है। एक बच्चे के लिए कम से कम 8 घंटे की नींद जरूरी है।

2. गुस्सा करना
तनाव की समस्या से जूझ रहे बच्चे मामूली बातों पर भी गुस्से में आ जाते हैं। कभी-कभी तो वे इतने गुस्से में आ जाते हैं कि जोर-जोर से चीखने लगते हैं और चीजों को तोड़ने-फोड़ने भी लगते हैं। वे गुस्से पर नियंत्रण नहीं कर पाते। अगर बच्चा ऐसा करता हो तो उसके साथ कभी डांट-डपट या मार-पीट नहीं करनी चाहिए। किसी मनोचिकित्सक से उसकी काउंसलिंग करानी चाहिए।

3. अकेले रहना
तनाव और अवसाद से पीड़ित बच्चे ज्यादा समय अकेले बिताना पसंद करते हैं। अक्सर वे कमरे में बंद बिस्तर पर लेटे रहते हैं। उनकी गतिविधियां कम होती जाती हैं। वे दोस्तों से मिलने या खेलने-कूदने नहीं जाते। घर पर भी जल्दी किसी से बात नहीं करते और ना ही टीवी देखते हैं। वे लोगों से दूरी बनाए रखते हैं।

4. खाने-पीने में रुचि कम होना
तनाव की समस्या से जूझ रहे बच्चों में भोजन की रुचि कम जाती है। वे खाने-पीने में टाल-मटोल करने लगते हैं। अगर खाना खाते हैं तो काफी कुछ छोड़ देते हैं। स्कूल में भी खाना नहीं खाते। सही ढंग से भोजन नहीं करने से वे कमजोर हो जाते हैं। इससे मानसिक परेशानी और बढ़ती है।

5. शरीर में कंपन और पसीना आना
जो बच्चे चिंता और तनाव की समस्या के शिकार होते हैं, उनमें इसके कुछ शारीरिक लक्षण भी नजर आते हैं। कभी-कभी इन बच्चों के शरीर में कंपन होने लगता है और तेज पसीना आता है। ऐसा उनके साथ कभी भी हो सकता है। यह इस बात का संकेत है कि डिप्रेशन की समस्या काफी बढ़ गई है और मनोचिकित्सक से दिखलाने की जरूरत है।    

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