कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे के बीच इसके इलाज के लिए वैक्सीन बनाने की कोशिश में दुनिया भर के हेल्थ सांइटिस्ट्स लगे हुए हैं। ब्रिटेन के वैज्ञानिकों का कहना है कि इस साल सितंबर तक कोरोना का वैक्सीन तैयार हो सकता है, वहीं अमेरिका में अगले साल मई तक वैक्सीन बनने की बात कही जा रही है। इस बीच, इबोला वायरस के लिए बनाई गई दवा से कोरोना के सफल इलाज की उम्मीद बन रही है।
हेल्थ डेस्क। कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे के बीच इसके इलाज के लिए वैक्सीन बनाने की कोशिश में दुनिया भर के हेल्थ सांइटिस्ट्स लगे हुए हैं। ब्रिटेन के वैज्ञानिकों का कहना है कि इस साल सितंबर तक कोरोना का वैक्सीन तैयार हो सकता है, वहीं अमेरिका में अगले साल मई तक वैक्सीन बनने की बात कही जा रही है। इस बीच, इबोला वायरस के लिए बनाई गई दवा से कोरोना के सफल इलाज की उम्मीद बन रही है। यह दवा है रेमडेसिवीर। बताया गया है कि अमेरिका के शिकागो शहर में कोरोना से गंभीर रूप से पीड़ित 125 लोगों का इलाज रेमडेसिवीर दवाई से किया गया, जिनमें 123 लोग पूरी तरह ठीक हो गए। इसके बाद कोरोना के इलाज के लिए इस दवा के इस्तेमाल की हरी झंडी एफडीए ने दे दी है।
ट्रम्प के सलाहकार डॉ. फॉउची ने की तारीफ
अमेरिका के इन्फेक्शियस डिजीज के प्रमुख विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फाउची ने कोरोना के इलाज के लिए रेमडेसिवीर दवा को उपयोगी माना है और इसकी तारीफ की है। डॉक्टर एंथनी फाउची वाइट हाउस के कोरोना वायरस टास्क फोर्स के मेंबर हैं। डॉक्टर फाउची ने पहले यह चेतावनी दी थी कि कोरोना वायरस को जड़ से खत्म कर पाना संभव नहीं है। लेकिन अब वे वैक्सीन बनाने में लगे हैं। इस बीच, डॉ. एंथनी फाउची ने कहा है कि इबोला के वैक्सीन के रूप में बनाई गई रेमडेसिवीर से कोरोना के मरीजों का सफल इलाज संभव है। साथ ही, कोरोना का वैक्सीन बनाने का काम भी जारी रहेगा।
रेमडेसिवीर का ट्रायल हुआ शुरू
डॉ. एंथनी पाउची का कहना है कि रेमडेसिवीर से कोरोना के मरीज करीब 31 फीसदी ज्यादा तेजी से ठीक हो रहे हैं। इसलिए इस दवा का कोरोना के मरीजों के इलाज में ज्यादा से ज्यादा उपयोग किया जाना जरूरी है। डॉ. फाउची ने वाइट हाउस में प्रेसिटेंड ट्रम्प की मौजूदगी मे मीडिया से यह बात कही। इसके बाद ट्रम्प ने भी इस दवा के ट्रायल को कोरोना के वैक्सीन बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया। रेमडेसिवीर दवा का निर्माण अमेरिकी कंपनी गिलिएड करती है।
भारत की है इस पर नजर
कोरोना के इलाज के लिए वैक्सीन बनाने और उसके ट्रायल में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के साथ भारत भी साझेदारी कर रहा है। भारत ने भी रेमडेसिवीर के ट्रायल पर नजर बना रखी है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के निदेशक डॉ. रमण गंगाखेडकर ने कहा है कि इस ट्रायल को करीब से देखा जा रहा है और इससे जुड़े आंकड़ों को जुटाया जा रहा है। उनका कहना है कि अगर यह दवा कोरोना महामारी के इलाज में कारगर साबित होती है तो एक बड़ी उपलब्धि होगी। भारत भी इस दवा का इस्तेमाल कर सकता है।