World AIDS Day 2022: क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड एड्स डे, जानें क्या है इस साल का थीम

World AIDS Day 2022:हर साल 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। एड्स दिवस को मनाने के पीछे क्या है कहानी और इस बार की क्या है थीम आइए आपको बताते हैं।

Nitu Kumari | Published : Nov 30, 2022 11:21 AM IST

हेल्थ डेस्क. दुनिया भर में एड्स से लाखों लोग पीड़ित हैं। एड्स को लेकर अभी भी कई बातों की जानकारी लोगों में नहीं हैं। इसे लेकर कई तरह की भ्रांतियां फैली हुई हैं।HIV (ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस ) एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। इस बीमारी में वायरस प्रतिरक्षा प्रणाली को टारगेट करके शरीर को कमजोर कर देता है। इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर होने की वजह से लोग धीरे-धीरे कई गंभीर बीमारियों के शिकार होते जाते हैं। एचआईवी आगे चलकर  एक्वायर्ड इम्युनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम यानी एड्स (AIDS) का रूप ले लेता है। 1 दिसंबर को दुनिया भर में एड्स दिवस (World AIDS Day 2022) मनाया जाता है। इस बार गुरुवार को एड्स दिवस मनाया जाएगा। आइए जानते हैं एड्स दिवस के इतिहास और इस साल के थीम के बारे में।

वर्ल्ड एड्स डे का इतिहास

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इंटरनेशनल लेबल पर 1988 में वर्ल्ड एड्स डे मनाने की घोषणा की थी। उस समय एचआईवी से पीड़ित बड़े तादात में लोग थे और इनकी संख्या में इजाफा हो रहा था। लोगों को इस बीमारी को लेकर जागरूक करने के लिए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने इसे मनाने की घोषणा की। इतना ही नहीं बीमारी को लेकर कई तरह की भ्रांतियां भी थी जिसे दूर करने की जरूरत थी। विज्ञापन के जरिए, नुक्कड़ नाटक के जरिए, समारोह और वर्क शॉप के जरिए लोगों के बीच एड्स को लेकर जारुकता फैलाई जाती है। 1 दिसंबर को एड्स को लेकर दुनिया भर में कई कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इस दिन लोग एड्स से पीड़ित लोगों को सपोर्ट करने के लिए लाल रंग का रिबन भी अपने कपड़ें पर लगाते हैं। 

वर्ल्ड एड्स डे का थीम 

विश्व एड्स दिवस पर यूनाइटेड नेशंस (UN) समेत कई देशों की सरकार और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां मिलकर HIV से संबंधित एक थीम चुनते हैं। और इस पर अभियान चलाते हैं। इस बार का थीम है एक्युलाइज (Equalize) यानी समानता।  इस साल की थीम से हमारे समाज में फैली हुई असमानताओं को दूर करके इस बीमारी को पूरी तरह खत्म करने पर जोर दिया जाएगा। दरअसल, जो लोग एड्स पीड़ित होते हैं उससे लोग भेदभाव करते हैं। उन्हें लगता है कि यह छूआ-छूत की बीमारी है। जबकि ऐसा नहीं हैं। यह बीमारी छूने से बिल्कुल नहीं फैलती है।

3.7 करोड़ लोग एड्स के हैं शिकार

यह बीमारी असुरक्षित यौन संबंध बनाने, संक्रमित व्यक्ति के ब्लड के जरिए,गर्भावस्था में एचआईवी पीड़ित मां से बच्चे को यह बीमारी हो सकता है। सबसे ज्यादा मामले असुरक्षित यौन संबंध बनाने की वजह से सामने आते हैं।वर्तमान में वैश्विवक आंकड़ों की बात करें तो करीब 3.7 करोड़ से ज्यादा लोग एचआईवी एड्स से पीड़ित है। साल 2020 में आए रिपोर्ट को देखें तो इस बीमारी से सात लाख लोगों की मौत हो चुकी है। बावजूद इसके अभी तक यह बीमारी लाइलाज है। इसका कोई वैक्सीन या दवाई नहीं बना है।  लेकिन इस बीमारी से कुछ चीजें करने से दूर रह सकते हैं।शारीरिक संबंध बनाते वक्त कंडोम का इस्तेमाल करें। साफ और नई सूई का प्रयोग करें। एचआईवी पीड़ित के साथ यौन संबंध ना बनाए। संक्रमित व्यक्ति से ब्लड ना लें।

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