World Hemophilia Day: क्या है यह लाइलाज बीमारी, जानें इसकी वजह और इस साल इसकी थीम

17 अप्रैल को पूरी दुनिया में हीमोफीलिया दिवस (Hemophilia Day) मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने की शुरुआत 1989 से हुई। हीमोफीलिया ब्लड से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है।

Asianet News Hindi | Published : Apr 17, 2021 7:45 AM IST / Updated: Apr 17 2021, 01:19 PM IST

हेल्थ डेस्क। 17 अप्रैल को पूरी दुनिया में हीमोफीलिया दिवस (Hemophilia Day) मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने की शुरुआत 1989 से हुई। हीमोफीलिया ब्लड से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। हीमोफीलिया के मरीजों को अगर बाहरी या अंदरूनी चोट लगती है, तो उनका खून बहने लगता है और यह रुकता नहीं है। हीमोफीलिया में खून का थक्का जम नहीं पाता। इससे इस डिसऑर्डर के शिकार लोगों की स्थिति कई बार बहुत गंभीर हो जाती है। इससे उनका जीवन खतरे में पड़ जाता है। आज तक इस रक्त से जुड़े इस डिसऑर्डर को ठीक करने के लिए कोई कारगर इलाज सामने नहीं आ सका है। यह बीमारी अक्सर वंशानुगत होती है।

कब से हुई इस दिवस के मनाने की शुरुआत
विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाने की शुरुआत 1989 से हुई। यह दिवस वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफीलिया (WFH) के फाउंडर फ्रैंक श्नाबेल (Frank Schnabel) के जन्मदिवस पर मनाया जाता है। फ्रैंक श्नाबेल ने हीमोफीलिया से पीड़ित लोगों के इलाज के लिए काफी काम किया था। इस मौके पर इस बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए कई तरह के कार्यक्रम किए जाते हैं। इस बीमारी में रक्त के बहने पर मरीज की जान बचाने के लिए उसे रक्त चढ़ाना पड़ता है। जानकारी के मुताबिक, 10 हजार लोगों में से किसी एक व्यक्ति में यह अनुवांशिक बीमारी पाई जाती है।

क्यों होती है यह बीमारी
इसका अभी तक ठीक से पता नहीं चल सका है कि यह बीमारी क्यों होती है। आम तौर पर यह बीमारी अनुवांशिक ही होती है। इसमें रक्त में एक खास प्रोटीन की कमी हो जाती है, जिसे क्लॉटिंग फैक्टर कहा जाता है। थ्रामबोप्लास्टिन नाम का यह पदार्थ रक्त के थक्के जमाने के लिए जरूरी होता है। इसकी कमी से एक बार जब खून बहने लगता है, तो वह जल्दी नहीं रुक पाता।

क्या है इस बार की थीम
हर साल विश्व हीमोफीलिया दिवस की थीम अलग-अलग होती है, लेकिन इसका मकसद लोगों को इसे लेकर जागरूक करना है। पहले यूरोप के कई राजवंशों में यह बीमारी होती थी, इसलिए इसे शाही बीमारी भी कहा गया। हीमोफीलिया से पीड़ित लोगों को समय पर उपचार मिलना जरूरी है। यह बेहद खर्चीला होता है, क्योंकि इसमें काफी ब्लड चढ़ाना पड़ता है। इस बार विश्व हीमोफीलिया दिवस की थीम 'एडॉप्टिंग टू चेंज' (Adopting to Change) रखी गई है। इसका मतलब है बदलाव को लेकर खुद को तैयार रखना।

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