ट्रेन से बाहर फेंके जाने के बाद महात्मा गांधी ने की थी आंदोलन की शुरुआत,अहिंसा के रास्ते पर चलकर दिलाई आजादी

महात्मा गांधी को अंग्रेज ने दक्षिण अफ्रीका में ट्रेन के फर्स्ट क्लास डिब्बे में सफर करने के चलते बाहर फिंकवा दिया था। इसके बाद उन्होंने अंग्रेजी शासन के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत की थी। उन्होंने अहिंसा के रास्ते पर चलकर भारत को आजादी दिलाई।

नई दिल्ली। भारत अपनी आजादी का 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। इस मौके पर हम आपको आजादी की लड़ाई के नायक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अहिंसा के रास्ते पर चलकर ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलाई थी। महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था। 

गांधी जी के पिता करमचंद पोरबंदर रियासत के राजा के दरबार में दीवान थे। महात्मा गांधी की मां एक धार्मिक महिला थीं। वह अक्सर पूजा-पाठ के लिए मंदिर जाती थीं और उपवास रखा करती थीं। इतिहासकारों का मानना है कि मां से ही महात्मा गांधी को धार्मिक सहिष्षुता और अहिंसा की सीख मिली थी। बच्चों की पढ़ाई के लिए गांधी जी के पिता पोरबंदर से राजकोट आकर बस गए थे। उन्होंने गांधी को अंग्रेजी की शिक्षा दिलवाई।

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13 साल की उम्र में गांधी जी की शादी कस्तूरबा गांधी से हो गई थी। वह उनसे एक साल बड़ी थीं। 1887 में उन्होंने 'मुंबई यूनिवर्सिटी' की मैट्रिक की परीक्षा पास की और भावनगर स्थित 'सामलदास कॉलेज' में दाखिल लिया। जब वह कॉलेज में पढ़ रहे थे तभी उन्हें लंदन के मशहूर इनर टेम्पल में कानून की पढ़ाई करने जाने का प्रस्ताव मिला। इसके बाद वह 1888 में पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए। वहां पहुंचने के 10 दिन बाद वह लंदन के चार कानून महाविद्यालय में से एक 'इनर टेंपल' में दाखिल हो गए। 

गांधी जी के साथ ट्रेन में दुर्व्यहार 
1893 में कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद गांधी जी भारत लौट आए और वकालत करने लगे। वह अपना पहला मुकदमा हार गए थे। इस दौरान दादा अब्दुल्ला ने उन्हें दक्षिण अफ्रीका में काम करने का प्रस्ताव दिया, जिसे उन्होंने तत्काल स्वीकार कर लिया। इसी साल एक अंग्रेज ने गांधी जी को ट्रेन के डिब्बे से बाहर फिंकवा दिया था। दरअसल, गांधी जी ट्रेन के फर्स्ट क्लास डिब्बे में सफर कर रहे थे, जो एक अंग्रेज को पंसद नहीं आया। उसने मेरित्जबर्ग स्टेशन पर गांधी जी को डिब्बे से बाहर फिंकवा दिया।
 
अफ्रीका में अंग्रेजों के खिलाफ चलाए कई आंदोलन
उस समय दक्षिण अफ्रीका में काले लोगों और अप्रवासी भारतीयों से भेदभाव हो रहा था। इसके खिलाफ गांधी जी ने 1894 में नटाल भारतीय कांग्रेस की स्थापना की और लगातार अंग्रेजों का विरोध करते रहे। इसके बाद 1903 में गांधी जी ने जोहांसबर्ग में लॉ फर्म की स्थापना की। इसके बाद गांधी जी ने 1904 में एक और लॉ फर्म की स्थापना की और लोगों को सत्याग्रह से परिचित कराया। 1906 में एशियाटिक रजिस्ट्रेशन के विरोध में गांधी जी ने सत्याग्रह संबंधी पहला प्रयोग किया। इस आंदोलन में गांधी जी की विजय हुई।
 
1915 में भारत लौटे थे गांधी
दक्षिण अफ्रीका में विजय मिलने के बाद गांधी जी 1915 में भारत लौटे थे। इसी दौरान गांधी जी को गोपाल कृष्ण गोखले ने भारत भ्रमण करने की सलाह दी थी। गोखले की सलाह पर  गांधी जी ने पत्नी कस्तूरबा के साथ रेलवे के तीसरे दर्जे के डिब्बे में पूरे भारत का भ्रमण किया। भारत यात्रा के दौरान उन्होंने अपने देश की गरीबी को देखा तो उन्हें जबरदस्त सदमा लगा। इसके बाद गांधी जी 1916 के कांग्रेस अधिवेशन में शामिल हुए। वहां पर उन्हें चंपारण में किसानों के साथ हो रहे अत्याचारों से अवगत कराया गया। इसके बाद गांधी जी चंपारण पहुंचे और सत्याग्रह किया। इसके बाद उन्होंने अहमदाबाद में मिल मजदूर के लिए सत्याग्रह किया। 

भारत की आजादी के लिए संघर्ष
देश में क्रांतिकारी गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए ब्रिटिश हुकूमत ने 1919 में रौलेक्ट एक्ट लाया था। इसे बिना वकील, अपील और दलील वाला कानून कहा जाता था। भारतीयों ने इसे काला कानून करार दिया था। महात्मा गांधी के नेतृत्व में इस कानून का पूरा देश में विरोध हुआ। इसी एक्ट के विरोध में पंजाब के जलियांवाला बाग में लोग इकट्ठा हुए थे। इसी दौरान जनरल ओ डायर ने सैनिकों को निहत्थे लोगों पर गोलियां चलाने का आदेश दिया था, जिससे हजारों लोगों की जानें गई थी। 

यह भी पढ़ें- चंपारण सत्याग्रह से लेकर भारत छोड़ो आंदोलन तक, महात्मा गांधी के इन आंदोलनों ने दिखलाया आजादी का रास्ता

इसके बाद गांधी जी ने 1920 में असहयोग आंदोलन की घोषणा की थी। इस आंदोलन में उन्हें अभूतपूर्व सफलता मिली थी। इस सफलता से प्रेरणा लेकर महात्‍मा गांधी ने कई और अभियान शुरू किए। गांधी जी के इन प्रयासों से भारत को 15 अगस्‍त 1947 को स्‍वतंत्रता मिल गई।

गांधी जी की हत्या
महात्मा गांधी की 30 जनवरी, 1948 को नई दिल्ली के बिड़ला भवन में नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इससे पूरा विश्‍व शोक में डूब गया था। 8 किलोमीटर लंबी महात्मा गांधी की शव यात्रा निकाली गई थी। महात्मा गांधी आजादी की लड़ाई के दौरान 13 बार गिरफ्तार हुए थे। इस दौरान उन्होंने 17 बड़े अनशन किए थे। वह 6 साल 5 महीने जेल में बंद रहे थे।

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