मंगल पांडे से खौफजदा थी ब्रिटिश हुकूमत, 10 दिन पहले ही दे दी गई थी फांसी

29 मार्च 1857 को मंगल पांडे ने अंग्रेजी सेना के खिलाफ विद्रोह शुरू किया था। मंगल पांडे से अंग्रेज इतने खौफजदा थे कि उन्हें तय तारीख से 10 दिन पहले ही फांसी दे दी गई थी।

Asianet News Hindi | Published : Mar 26, 2022 6:45 AM IST / Updated: Mar 26 2022, 12:16 PM IST

नई दिल्ली। भारत अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। इस अवसर पर हम आपको देश के वीर सपूत मंगल पांडे (Mangal Pandey) के बारे में बता रहे हैं। मंगल पांडे से अंग्रेज इतने खौफजदा थे कि उन्हें तय तारीख से 10 दिन पहले ही फांसी दे दी गई थी। 

1850 के दशक में अंग्रेज सिपाहियों के लिए नई इनफील्ड राइफल लाई गई थी, जिसमें कारतूस को दांतों से काटकर राइफल में गोली लोड करना होता था। ऐसा कहा गया था कि कारतूस में गाय और सूअर की चर्बी मिली होती थी। इसके जरिए अंग्रेज हिंदुओं के साथ-साथ मुस्लिमों की धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे थे।  

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ब्रिटिश हुकूमत ने 9 फरवरी 1857 को सेना को ये राइफलें दी, लेकिन भारतीय सैनिक इन कारतूसों का इस्तेमाल करने से मना कर रहे थे। अंग्रेज लगातार भारतीय सैनिकों पर दबाव बना रहे थे। इसी दौरान 29 मार्च 1857 को मंगल पांडे ने अंग्रेजी सेना के खिलाफ विद्रोह छेड़ दिया था। 29 मार्च 1857 को उन्हें सेना से निकालने और वर्दी व बंदूक वापस लेने का फरमान सुनाया गया।
 
मंगल पांडे ने अंग्रेजों को सबक सिखाने की ठान ली थी। 21 मार्च 1857 के दिन जब बैरकपुर में 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री के सैनिकों की परेड चल रही थी तभी मंगल पांडे ने अंग्रेजी सरकार के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंक दिया था। सबसे पहले मंगल पांडे ने बैरकपुर में अपने साथियों को विरोध के ललकारा और घोड़े पर अपनी ओर आते अंग्रेज अधिकारियों पर गोली चलाई। अधिकारियों के नजदीक आने पर मंगल पांडे ने उनपर तलवार से हमला किया। उन्होंने साथियों से मदद करने को कहा, लेकिन कोई आगे नहीं आया। फिर भी वह डटे रहे। 

मंगल पांडे ने खुद को मार ली थी गोली 
इसके बाद जब अंग्रेज अफसरों ने मंगल पांडे को गिरफ्तार करना चाहा तो उन्होंने खुद को गोली मारकर मरना बेहतर समझा। मरने की बजाए मंगल पांडे जख्मी हो गए। अस्पताल में इलाज हुआ। ठीक होने के बाद उनका कोर्ट मार्शल किया गया। फांसी की सजा सुनाई गई। अंग्रेजों को डर था कि मंगल पांडे ने विद्रोह की जो चिंगारी जलाई है वह देशभर में कहीं ज्वाला न बन जाए। इसलिए तय तारीख से 10 दिन पहले ही 8 अप्रैल 1857 को उन्हें फांसी दे दी गई। उनकी फांसी के बाद मेरठ, कसौली, कांगड़ा, धर्मशाला समेत देशभर में कई जगहों पर सिपाहियों ने विद्रोह कर दिया।

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प्रारंभिक जीवन
अमर शहीद मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा हुआ था। इनके पिता का नाम दिवाकर पांडे और माता का नाम अभय रानी था। मंगल पांडे के जन्म को लेकर इतिहासकारों में मतभेद है। कई इतिहासकारों का मनना है कि मंगल पांडे का जन्म फैजाबाद जिले की अकबरपुर तहसील के सुरहुरपुर गांव में हुआ था। मंगल पांडे 1849 में अंग्रेजी सेना में भर्ती हुए थे। उन्हें बैरकपुर की सैनिक छावनी में 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री में शामिल किया गया था। पांडे पैदल सेना के 1446 नंबर के सिपाही थे। उनके जीवन पर 2005 में फिल्म बनी थी। इस फिल्म में मंगल पांडे का किरदार आमिर खान ने निभाया था। मंगल पांडे के सम्मान में 1984 में भारत सरकार ने डाक टिकट जारी किया था। 

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