India@75: ईस्ट इंडिया कंपनी के सामने दीवार बना गया था तमिलनाडु के पॉलीगरों का विद्रोह

18वीं शताब्दी में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पूरे देश में फैल चुका था। दक्षिण भारतीय राज्यों में पॉलीमरों का विद्रोह अंग्रेजी हूकूमत के लिए मुसीबत बन गई थी। पॉलीमरों ने कई वर्षों तक अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी और संघर्ष करते रहे।

India@75. 18वीं शताब्दी के दौरान अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए सबसे बड़ी चुनौती दक्षिणी तमिलनाडु के पॉलीगारों का विद्रोह था। तब विजयनगर साम्राज्य के समय में पॉलीगर या पलायकर क्षेत्रीय सैन्य और राजस्व अधिकारी थे। इस साम्राज्य के पतन और अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी के आगमन की वजह से क्षेत्र के सत्ता समीकरण पूरी तरह से बदल गए। ईस्ट इंडिया कंपनी ने पॉलीगारों को कमजोर करने की रणनीति अपनानी शुरू कर दी। कंपनी ने पॉलीगारों की योद्धा जनजातियों पर जोरदार प्रहार करना शुरू कर दिया। कई दशकों तक पूरे क्षेत्र में वीर पॉलीगारों ने इसका कड़ा प्रतिरोध किया और यहां तक ​​कि कंपनी को घुटनों के बल ला दिया।

इन लीडर्स ने संभाली कमान
हालांकि कंपनी की शक्ति की जीत हुई और पॉलीगर के बड़े लीडर शहीद हो गए। इनमें पुली थेवर, कट्टाबोम्मन, ओमीथुराई, मारुथ पांड्यार शामिल थे। उनमें से कई ने पजस्सी राजा और त्रावणकोर के साथ गठबंधन किया था। जब त्रावणकोर ने कंपनी का समर्थन किया तो पॉलीगारों ने उनका विरोध किया। मदुरै-तिरुनेलवेली क्षेत्र पर शासन करने वाले पुली थेवर पहले पॉलीगर नायकों में से एक थे। वे मारवाड़ की योद्धा जनजाति में जन्मे थे, जिन्हें अंग्रेज डाकू कहते थे। 

Latest Videos

ईस्ट इंडिया कंपनी की चाल
पुली ने ईस्ट इंडिया कंपनी और उसके सहयोगी आर्कोट के नवाब से खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ी। जंगली घरों में रहने की वजह से वे छापामार युद्ध में माहिर हो गए थे। मारवा सेना ने दुश्मन पर बिजली की तरह हमले शुरू किए। 1755 में थेवर की सेना ने कंपनी की सेना को उसकी मातृभूमि तिरुनेलवेली में नेल्काट्टुमसेवल में हरा दिया। यहां तक ​​कि उनके नेता कर्नल अलेक्जेंडर हेरोन को भी मार डाला गया। इस जीत ने पुली को तमिल क्षेत्र का निर्विवाद नायक बना दिया और थिरुविथमकूर के पड़ोसी राजा के साथ गठबंधन करके अपनी ताकत कई गुना बढ़ा गई। जिसके पास इस क्षेत्र की सबसे शक्तिशाली यूरोपीय-प्रशिक्षित आधुनिक सेना थी।

कैसे हुई पुली की मौत
1741 में कोलाचल के युद्ध में राजा मार्तंड वर्मा द्वारा डच ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना पर ऐतिहासिक जीत हासिल करने के बाद तिरुवितम्कूर सेना को डच कमांडर डेलान्नॉय द्वारा प्रशिक्षित किया गया था। बाद में पिछड़ी जाति में जन्मे मरुथनायकम ने इस्लाम धर्म अपना लिया था और युसूफ खान का नाम ग्रहण कर लिया था। यूरोपियों द्वारा युद्ध और रणनीति में प्रशिक्षित खान को नेतृत्व का मौका दिया गया। कंपनी और नबाबों की संयुक्त ताकत ने पुली से युद्ध शुरू किया और अंत में 1761 में पुली को फांसी पर लटका दिया गया।

यहां देखें वीडियो

यह भी पढ़ें

India@75: मिलिए दक्षिण भारत की उस रानी से जिन्होंने 16वीं शताब्दी में पुर्तगालियों से लड़ा युद्ध
 

Share this article
click me!

Latest Videos

राजस्थान में बोरवेल में गिरी 3 साल की मासूम, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी । Kotputli Borewell News । Chetna
The Order of Mubarak al Kabeer: कुवैत में बजा भारत का डंका, PM मोदी को मिला सबसे बड़ा सम्मान #Shorts
समंदर किनारे खड़ी थी एक्ट्रेस सोनाक्षी सिन्हा, पति जहीर का कारनामा हो गया वायरल #Shorts
Delhi Election से पहले BJP ने जारी की केजरीवाल सरकार के खिलाफ चार्जशीट
क्या है महिला सम्मान योजना? फॉर्म भरवाने खुद पहुंचे केजरीवाल । Delhi Election 2025