India@75: भारत की वह पिछड़ी जातियां जिन्होंने आजादी के लिए दी जान की कुर्बानी

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान देश के हर तबके ने अपनी भूमिका निभाई। भारत की कई क्रांतिकारी महिलाओं ने हंसते-हंसते अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। ऐसी ही कुछ भारतीय महिलाओं के बारे में हम जानकारी दे रहे हैं।

Manoj Kumar | Published : Jul 21, 2022 11:20 AM IST

नई दिल्ली. 1857 के पहले भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करने वाले बहादुर राजाओं, रानियों, नवाबों और बेगमों के बारे में हर कोई जानता है। लेकिन बहुत कम लोग ही जानते हैं कि पिछड़ी जातियों का एक बड़ा समूह और वह भी उनकी महिलाएं, उस क्रांति की सूत्रधार थीं। इन महिला बहादुरों में रानी अवंती बाई, महाबीर देवी, झलकारी देवी, उदा देवी, आशादेवी शामिल हैं। अवंती बाई राम गढ़ की लोधी राजपूत रानी थीं तो महाबीर सबसे निचली जाति भंगी समुदाय से आती थीं। वहीं झलकारी कोरी जाति से थीं, उदा देवी पासी थीं और आषादेवी गुर्जर थीं, जो सभी जातियों में सबसे नीचे गिनी जाती हैं। 

कौन थीं रानी अवंती
आज के मध्य प्रदेश में रामगढ़ के राजा विक्रमादित्य लोधी की पत्नी अवंती राज्य के प्रशासनिक और यहां तक ​​कि सैन्य मामलों में भी दखल रखती थीं। जब 1857 में विद्रोह छिड़ गया तो अवंती ने अपनी प्रजा से ईस्ट इंडिया कंपनी को करों का भुगतान न करने के लिए कहा। जब अंग्रेजों ने दमन किया तो अवंती ने 4000 की सेना का नेतृत्व किया और कंपनी की चौकियों पर हमला कर दिया। कई अंग्रेजों को मार डाला। जब वह पकड़े जाने वाली थीं तो अवंती ने अपने अंगरक्षक से तलवार ली और खुद ही शहीद हो गईं। 

कौन थीं महाबीरी
महाबीरी का जन्म उत्तर प्रदेश के मुसफ्फरनगर में भंगी मेहतर जाति में हुआ था। उन्होंने बचपन में ही प्रतिभा और साहस का परिचय दिया। युवा महिला के रूप में महाबीर ने महिलाओं और बच्चों को जाति और यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए एक संगठन बनाया। महाबीरी ने अपने सदस्यों को शस्त्रास्त्र और घुड़सवारी का प्रशिक्षण दिया। जब अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध छिड़ गया तो बहुजन महिलाओं की महाबीरी सेना ने ब्रिटिश शिविरों पर बिजली जैसे तेज हमले शुरू कर दिए। कुछ देर बाद ब्रिटिश सेना द्वारा उसे पकड़ लिया गया और गोली मार दी गई।

कौन थीं झलकारी देवी
झलकारी देवी के पति झांसी की वीर रानी लक्ष्मीबाई की सेना में सिपाही थे। पूरन ने अपनी युवा पत्नी को घोड़ों की सवारी करना, कुश्ती करना और यहां तक ​​कि फायरिंग भी सिखाया। रानी ने झलकारी को दुर्गा दल नामक एक महिला सेना को संगठित करने के लिए नियुक्त किया। जब झांसी का किला घेर लिया गया तो झलकारी ने रानी को भागने में मदद की। झलकारी एक गुर्जरी रानी के समान थी, जिसने कई बार अंग्रेजों को मूर्ख बनाया था। 

कौन थीं उदा देवी
पासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली उदा देवी अवध की रानी बेगम हजरत महल से जुड़ी थीं, जो 1857 के प्रमुख नेताओं में से एक थीं। उदा बेगम के लिए एक महिला सेना दल बनाने में सबसे आगे थीं। जब ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने सिकंदर बाग पर हमला किया तो उदा देवी ने बेगम के साथ लड़ाई लड़ी। किंवदंतियों के अनुसार उदा एक पीपल के पेड़ पर चढ़ गईं और कई लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी।

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