India@75: मातंगिनी हाजरा जिन्होंने 72 वर्ष की आयु में मातृभूमि के लिए दी प्राणों की आहुति

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में मातंगिनी हाजरा (Mathangini Hazra) का नाम सम्मान के साथ लिया जाता है। 72 वर्ष की आयु में मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की बलि देने वाली हाजरा देश को आजाद देखना चाहती थीं।

Manoj Kumar | Published : Jul 14, 2022 7:08 AM IST

नई दिल्ली. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में मातंगिनी हाजरा (Mathangini Hazra) का नाम उन चुनिंदा देशभक्तों में शुमार है, जिन्होंने देश के लिए जान की कुर्बानी देने में जरा सा भी संकोच नहीं किया। वे 72 वर्ष की आयु में मातृभूमि की आजादी के लिए शहीद हो गईं। 

जब देश में 1942 के दौरान भारत छोड़ो आंदोलन चरम पर था, तब मातंगिनी हाजरना ने इस आंदोलन में जान फूंकने का काम किया। 1942 के आंदोलन के दौरान हाजरा ने मेदिनीपुर में पुलिस स्टेशन तक तिरंगा लेकर 6000 से अधिक कांग्रेस कार्यकर्ताओं के मार्च का नेतृत्व किया। तामलुक के इस स्थान को राष्ट्रवादियों ने स्वतंत्र घोषित कर दिया था। यह मार्च तेजी से आगे बढ़ रहा था और अंग्रेज पुलिस अधिकारी इसे तितर-बितर करने की कोशिशें करने लगे थे। हाजरा की अगुवाई में यह काफिला अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा लगाते हुए आगे बढ़ता ही जा रहा था। पुलिस के माथे पर पसीना आ गया और उन्होंने हर हाल में आंदोलन रोकने की कोशिश की।

Latest Videos

अंग्रेज अधिकारियों की सारी कोशिशें नाकाम होने लगीं तो उन्होंने गोली चलाने का आदेश दिया। फिर क्या था, पंक्ति में सबसे आगे चर रहीं हाजरा ने कहा कि सबसे पहले मुझे गोली मारो। अंग्रेज अधिकारी को गुस्सा आ गया और उसने गोली चला दी। पहली गोली मातंगिनी हाजरा को लगी लेकिन उन्होंने अदम्य साहस का परिचय दिया और झंडा लहराते हुए आगे बढ़ीं। इसके बाद दो और गोलियां मातंगिनी को लगीं जिसके बाद वे खून से लथपथ वहीं गिर गईं। मातंगिनी शहीद हो गईं लेकिन उनके इस बलिदान ने क्रांति की ज्वाला और भड़का दी।

कौन थीं मातंगिनी हाजरा
तमलुक के होघला में एक गरीब किसान परिवार में जन्मी मातंगिनी की शादी 12 साल की उम्र में हो गई थी। वे 18 साल की उम्र में विधवा हो गईं थी। इसके बाद गांधीजी के आह्वान पर उन्होंने खुद को स्वतंत्रता संग्राम में झोंक दिया। 1930 के दशक के दौरान नमक सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लेते हुए मातंगिनी को कई बार गिरफ्तार किया गया। तब पुलिस ने उन्हें काफी यातनाएं दीं लेकिन उनकी सोच को नहीं डिगा सके। 1977 में कोलकाता शहर में मातंगिनी हाजरा की प्रतिमा लगाई गई थी। यह कोलकाता जैसे बड़े शहर में किसी महिला की पहली मूर्ति थी।

यह भी पढ़ें

India@75: कौन थे प्रखर राष्ट्रवादी राजगुरू, भगत सिंह के साथ मिलकर सांडर्स को उतारा था मौत के घाट
 

Share this article
click me!

Latest Videos

उत्तराखंड: 200 फीट खाई में समा गई बारातियों की बस, तिनकों की तरह बिखरीं लाशें
Rahul Gandhi LIVE: राहुल गांधी का हरियाणा के महेंद्रगढ़ में जनता को संबोधन।
हजारों समर्थकों के सामने ईरानी नेता खामेनेई ने खाई कसम, कहा- अब इजरायल खत्म
चाणक्य: 4 चीजों में महिलाओं की बराबरी नहीं कर सकते हैं पुरुष #Shorts
Hezbollah में जो लेने वाला था नसरल्ला की गद्दी, Israel ने उसे भी ठोका