भारतीय स्वतंत्रता आंदोल के दौरान कई क्रांतिकारी ऐसे रहे हैं, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ बड़ी लड़ाईयां लड़ी हैं। इन्हीं में से एक थे कर्नाटक केसरी के नाम से मशहूर गंगाधर राव देशपांडे जिन्होंने अंग्रेजी कानून तोड़ने का बीड़ा उठाया था।
नई दिल्ली. भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन (Indian freedom movement) में कर्नाटक केसरी (Lion of Karnataka) के नाम से प्रसिद्ध गंगाधर राव बालाकृष्णा देशपांडे ने मैसूर में अंग्रेजी कानूनों (British Rules) को तोड़ने का काम किया। जिसकी वजह से उन्हें गिरफ्तार भी किया गया। देशपांडे ने गांधीजी के साथ न सिर्फ नमक सत्याग्रह में सहभागिता की बल्कि गिरफ्तारी भी दी। कर्नाटक केसरी को खादी भगीरथ के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि उन्होंने देश में पहली खादी फैक्ट्री की स्थापना की थी।
कौन थे कर्नाटक केसरी
गंगाधरराव बालकृष्ण देशपांडे को कर्नाटक केसरी या कर्नाटक के शेर के रूप में जाना जाता है। देशपांडे का जन्म 31 मार्च 1871 को बेलगावी जिले के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। जिसे पहले बेलगाम के नाम से जाना जाता था। एक युवा के रूप में वे स्वदेशी आंदोलन में शामिल हो गए और बाल गंगाधर तिलक के प्रबल प्रशंसक बन गए। तिलक के उदाहरण का अनुसरण करते हुए देशपांडे ने राष्ट्रीय चेतना को जगाने के लिए गणेश उत्सव आयोजित करने की पहल की थी। वे गांधीजी के आह्वान पर असहयोग आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल रहे। देशपांडे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बेलगाम अधिवेशन के मुख्य आयोजक थे, जिसकी अध्यक्षता गांधीजी ने की थी।
तोड़े ब्रिटिश कानून, दी गिरफ्तारी
गांधीजी के रास्ते पर चलते हुए देशपांडे ने बेलगाम के पास हुदली में कुमारी आश्रम की स्थापना की। मैसूर राज्य की पहली खादी इकाई वहां स्थापित की गई थी और उन्हें खादी भगीरथ के नाम से जाना जाने लगा। जब गांधीजी ने दांडी मार्च के माध्यम से नमक सत्याग्रह शुरू किया तो देशपांडे ने मैसूर में कानूनों को तोड़ने का बीड़ा उठाया और गिरफ्तारी दी। 1937 में देशपांडे के निमंत्रण पर गांधीजी हुदाली पहुंचे और वहां सात दिनों तक रहे। देशपांडे ने भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया और जेल गए। गंगाधर राव देशपांडे मैसूर के सबसे प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे।
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