हॉकी के जादूगर ध्यान चंद ने दिखाया था अंग्रेजों को हरा सकते हैं भारतीय, हिटलर ने दिया था नागरिकता का ऑफर

हॉकी के जादूगर ध्यान चंद ने दिखाया था कि भारतीय किसी मामले में अंग्रेजों से कम नहीं हैं। उनके नेतृत्व में भारत ने तीन बार ओलंपिक गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था। फाइनल में जर्मनी को हराने के बाद हिटलर ने ध्यान चंद को अपने देश की नागरिकता और जॉब का ऑफर दिया था।
 

नई दिल्ली। गुलामी के अंधकार भरे दिनों में ब्रिटिश उपनिवेशवादियों ने प्रचार किया था कि वे हर मामले में भारतीयों से बेहतर हैं। खेल हो या कला या कोई और क्षेत्र हर मामले में भारतीय उनसे कमतर हैं। अंग्रेजों के इस छलावे में बहुत से भारतीय आ भी गए थे और उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य से लड़ना असंभव समझकर राष्ट्रीय आंदोलन से खुद को दूर रखा।

ऐसे वक्त में भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक खेलों में लगातार तीन बार स्वर्ण पदक जीता। इसने दुनिया को स्तब्ध कर दिया और भारतीयों के आत्मविश्वास को आसमान पर पहुंचा दिया। इस ऐतिहासिक उपलब्धि का मुख्य श्रेय हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले और दुनिया के अब तक के सबसे महान हॉकी खिलाड़ी ध्यान चंद को जाता है। उनके नेतृत्व में भारत ने 1928, 1932 और 1936 में लगातार तीन ओलंपिक गोल्ड मेडल जीता। जीत का सिलसिला 1960 तक जारी रहा और भारत हॉकी का सम्राट बना रहा।

Latest Videos

1928 में जीता था पहला गोल्ड
हॉलैंड के एम्स्टर्डम में 1928 के ओलंपिक के लिए भारतीय टीम का नेतृत्व एक आदिवासी युवा जयपाल सिंह मुंडा ने किया था। टीम में 9 एंग्लो इंडियन और ध्यान चंद सहित 7 भारतीय खिलाड़ी थे। एम्स्टर्डम जाने से पहले भारतीय टीम ने लंदन में एक प्रदर्शन मैच में ब्रिटेन की
ओलंपिक टीम को हरा दिया था। इस घटना ने ब्रिटेन को स्तब्ध कर दिया था। इसका इतना असर हुआ कि ब्रिटेन की हॉकी टीम ने ओलंपिक में भाग नहीं लेने का फैसला किया। ब्रिटेन को उसी की धरती पर हराने से भारत के खिलाड़ियों को अभूतपूर्व प्रोत्साहन मिला था। 

हॉलैंड के खिलाफ था फाइनल मुकाबला 
भारत का फाइनल मुकाबला 28 मार्च 1928 को मेजबान हॉलैंड के खिलाफ था। 3 लाख से अधिक डच प्रशंसक फाइनल मैच देखने आए थे। भारतीय टीम के हीरो ध्यान चंद बीमार थे। एक अन्य खिलाड़ी फिरोज चोटिल हो गए थे। इसके बाद भी ध्यान चंद ने जादूई खेल का प्रदर्शन किया। भारत ने 3 गोल किए और मैच अपने नाम कर लिया। इलाहाबाद में जन्मे ध्यान चंद 1928 ओलंपिक में सबसे अधिक गोल करने वाले खिलाड़ी थे। भारतीय टीम ने कुल 29 गोल किए थे, जिनमें से 14 ध्यान चंद के थे। 

"

इस जीत से भारत के लोगों में ऊर्जा की एक लहर दौर गई थी। यह साबित हुआ कि भारतीय लोग किसी से कम नहीं हैं और वे यूरोपीय लोगों को हरा सकते हैं। इससे राष्ट्रवादी आंदोलन में भी नई जान आ गई। भारतीय टीम जब ओलंपिक के लिए एम्सटर्डम जा रही थी तो उन्हें विदा करने केवल तीन लोग गए थे। ओलंपिक गोल्ड मेडल जीतने के बाद टीम लौटी तो हजारों लोगों ने उनका स्वागत किया।

1932 में जापान को हराया था
1932 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक में महामंदी के कारण कम देशों ने भाग लिया था। भारत ने पहले अमेरिका को 24-1 हराया। इसके बाद जापान को फाइनल में 11-1 से हराया। अगला ओलंपिक जर्मनी के बर्लिन में था। उस समय एडॉल्फ हिटलर पूरी तरह ताकत में था। हिटलर चाहता था कि बर्लिन ओलंपिक आर्यन नस्लीय श्रेष्ठता के उसके सिद्धांत को साबित करे। भारत का नेतृत्व ध्यान चंद ने किया था। उनके भाई रूप सिंह एक और स्टार थे। प्री-ओलंपिक ट्रायल मैच में जर्मनी के खिलाफ हार ने भारत को परेशान कर दिया था, लेकिन खेल शुरू होने के बाद भारतीय टीम फिर से फॉर्म में आ गई। 

यह भी पढ़ें- कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज से BA करने वाले पहले भारतीय थे बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय, खिला था वंदे मातरम् गीत

फाइनल में भारत ने शक्तिशाली मेजबान जर्मनी को 8-1 से हराकर स्वर्ण पदक जीता। इनमें से छह गोल 31 वर्षीय कप्तान ध्यान चंद के थे। रिपोर्टों के अनुसार हिटलर ध्यान चंद से बहुत प्रभावित हुआ और उसने उसे जर्मनी की नागरिकता और नौकरी की पेशकश की। ध्यान चंद ने विनम्रता से इस ऑफर को ठुकरा दिया। उन्होंने कहा था कि मैं भारत नहीं छोड़ सकता। इस जीत ने उस समय राष्ट्रीय आंदोलन को सक्रिय करने में अहम रोल निभाया।

Share this article
click me!

Latest Videos

Google CEO सुंदर पिचाई ने Donald Trump को किया फोन, बीच में शामिल हो गए Elon Musk और फिर...
महाराष्ट्र-झारखंड में किसकी बनेगी सरकार, चौंका रहे एग्जिट पोल। Maharashtra Jharkhand Exit Poll
अडानी पर लगा रिश्वतखोरी का आरोप, बॉन्ड पेशकश रद्द! जानें क्या है पूरा मामला?
Maharashtra Jharkhand Exit Poll से क्यों बढ़ेगी नीतीश और मोदी के हनुमान की बेचैनी, नहीं डोलेगा मन!
UP By Election: Meerapur ककरौली SHO ने Muslim महिलाओं पर तान दी पिस्टल। Viral Video। Akhilesh Yadav