झारखंड विधानसभा: दूसरे चरण की 20 में से 15 सीटें नक्सल प्रभावित, कैसे होगा शांतिपूर्ण मतदान; चुनौती

विधानसभा के दूसरे चरण में सात जिले की 20 सीटों पर 7 नवंबर को मतदान होंगे दूसरे चरण की सीटें झारखंड के कोल्हान और दक्षिणी छोटानागपुर जोन इलाके में आती हैं यह इलाका नक्सल प्रभावित मानी जाती हैं, यही वजह है कि दूसरे चरण की 20 में से 15 सीटे गंभीर नक्सल प्रभाव वाले क्षेत्र में हैं

Asianet News Hindi | Published : Dec 5, 2019 10:26 AM IST

रांची: झारखंड विधानसभा के दूसरे चरण में सात जिले की 20 सीटों पर 7 नवंबर को मतदान होंगे। दूसरे चरण की सीटें झारखंड के कोल्हान और दक्षिणी छोटानागपुर जोन इलाके में आती हैं यह इलाका नक्सल प्रभावित मानी जाती हैं, यही वजह है कि दूसरे चरण की 20 में से 15 सीटे गंभीर नक्सल प्रभाव वाले क्षेत्र में हैं। नक्सलियों ने कई इलाकों में पोस्टर लगाकर चुनाव के बहिष्कार का ऐलान कर चुके हैं।

दूसरे चरण में वह इलाका आता है जहां अभी भाकपा माओवादियों के शीर्ष चार एक करोड़ के ईनामी उग्रवादियों के अलावे महाराज प्रमाणिक, अमित मुंडा, जीवन कंडुलना जैसे बड़े उग्रवादी चुनौती बन सक्रिय हैं। महाराज प्रमाणिक के दस्ते के साथ पहले चरण के चुनाव के पूर्व कुचाई में पुलिस के साथ मुठभेड़ भी हो चुकी है।

 दूसरे चरण की नक्सल प्रभावित सीटें

दूसरे चरण के चुनाव में पश्चिमी सिंहभूम के चक्रधरपुर, मनोहरपुर, चाईबासा, जगन्नाथपुर, मझगांव, सरायकेला- खरसावां जिले के खरसावां, सरायकेला, पूर्वी सिंहभूम के बहरागोड़ा, घाटशिला, पोटका और जुगसलाई, रांची के तमाड़ व मांडर, खूंटी के तोरपा व खूंटी का ग्रामीण इलाका नक्सल प्रभाव वाले इलाके में आता है। पश्चिमी सिंहभूम के पौड़ाहाट, सारंडा में लगातार नक्सलियों की मौजूदगी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

माओवादियों का मोटरसाइकिल दस्ता पुलिस के लिए चुनौती बन रहा है। सारंडा के इलाके में एक करोड़ के ईनामी प्रशांत बोस का दस्ता उसकी प्रोटेक्शन टीम के साथ है। पौड़ाहाट में जीवन कंडुलना जैसे खतरनाक माओवादी की मौजूदगी रही है। वह इलाके में काफी असरदार भी रहा है सारंडा में ही भाकपा माओवादियों के टेक्निकल एक्सपर्ट टेक विश्वनाथ उर्फ संतोष की मौजूदगी को लेकर विशेष शाखा लगातार रिपोर्ट करते रही है। विश्वनाथ ने कई नक्सल प्रभाव वाले इलाकों की आईइडी से घेराबंदी की है, साथ ही युवाओं को भी आईइडी के इस्तेमाल की ट्रेनिंग दी है।

सरायकेला-खरसांवा में सबसे ज्यादा संकट

दूसरे चरण में सरायकेला-खरसांवा में शांतिपूर्ण चुनाव कराने की सबसे बड़ी चुनौती है। सरायकेला- खरसांवा में बीते लोकसभा चुनाव में कुल नौ विस्फोट हुए थे। खरसावां में तो बीजेपी के कार्यालय को भी नक्सलियों ने उड़ा दिया था। इस बार भी सरायकेला में चुनाव बहिष्कार का पोस्टर लगाकर माओवादियों ने अपने इरादे जता दिए हैं। बताया जाता है कि सरायकेला में एक करोड़ का इनामी पतिराम मांझी उर्फ अनल अपने गिरोह के साथ है।

पतिराम के साथ ही अलग अलग गांवों में महाराज और अमित का दस्ता घूम रहा है अमित के दस्ते की सक्रियता सरायकेला जिले के कुचाई से सटे रांची के तमाड़ में रही है। बीते चुनाव में रातों रात माओवादियों के डर से तमाड़ के अरहंजा का बूथ रिलोकेट किया गया था। जिसकी वजह से नक्सलियों ने बाद में चुनाव के दिन ही एक ट्रैक्टर को आग के हवाले कर दिया था।

पीएलएफआई के गढ़ चुनाव

झारखंड के दूसरे चरण में भाकपा माओवादियों के अलावा पीएलएफआई के गढ़ में भी चुनाव होना है। इनका प्रभाव खूंटी, सिमडेगा जिले में सर्वाधिक है खूंटी के तोरपा, तपकरा,कर्रा, मुरहू के अलावा सिमडेगा पीएलएफआई के प्रभाव में है। पीएलएफआई उग्रवादियों के निशाने पर हमेंशा से राष्ट्रीय पार्टी के नेता और कार्यकर्ता रहे हैं इसीलिए यह इलाका काफी संवेदनशील माना जा रहा है। दूसरे चरण के लिए भी 2113 अतिसंवेदनशील बूथों को चिन्हित किया गया है प्रशासन से पड़ोसी राज्यों से प्रशासनिक मदद ले रही है।

(प्रतिकात्मक फोटो)

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