
रांची. राज्य में मिड-डे मील योजना का बुरा हाल है। सरकारी स्कूलों के करीब 33 लाख बच्चों के निवाले पर संकट उत्पन्न हो गई है। मिड-डे मील के लिए राज्य के सरकार के पास पैसे नहीं है। राज्य के लगभग 41 हजार प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में 33 लाख से ज्यादा बच्चों को स्कूलों में ही दोपहर का भोजन उपलब्ध कराया जाता है। राज्य सरकार का कहना है कि योजना के लिए केंद्र से दी जाने वाली 60 प्रतिशत राशि अब तक हमारे पास नहीं पहुंची है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार स्कूलों में मिड डे मील देना अनिवार्य है। इसके लिए 60 प्रतिशत केंद्र और 40 प्रतिशत राज्य को भुगतान करना होता है। राज्य में फंड की कमी हालात ऐसे हो गए है कि अब उधार लेकर बच्चों के खाने की व्यवस्था की जा रही है।
स्कूलों को इस महीने नहीं मिले पैसे
पहली से पांचवीं कक्षा के प्रत्येक बच्चे के लिए कुकिंग कॉस्ट के तौर पर 4.97 रुपये और कक्षा छठी से आठवीं तक के बच्चों के लिए 7.45 रुपये मिलते हैं। राज्य में अप्रैल से जून तक के लिए इस मेद राशि उपलब्ध करायी गयी थी। जुलाई में इस मद में स्कूलों को कोई पैसा नहीं मिला है।
सरकार ने पैसे नहीं दिए तो बंद हो जाएगा राशन
शिक्षकों का कहना है कि सरकार ने फंड उपलब्ध नहीं कराया तो दुकानदार राशन देना बंद कर देंगे और ऐसी स्थिति में मिड-डे-मील वितरण बंद हो सकता है। गौरतलब है कि स्कूलों में मिड-डे-मील के लिए सरकार चावल उपलब्ध कराती है, जबकि दाल, तेल, मसाला, सब्जी, फल, अंडा और कुकिंग कॉस्ट के लिए छात्रों की संख्या के हिसाब से राशि उपलब्ध कराती है।
400 करोड़ का है बजट
झारखंड सरकार ने मिड-डे-मील में बच्चों को हफ्ते में पांच दिन अंडा या फल देना अनिवार्य किया है और इसके लिए सालाना लगभग 400 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बजट तय किया गया है। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से मिड-डे-मील की राशि नहीं मिल पाने की वजह से यह स्थिति उत्पन्न हुई है। शिक्षा सचिव राजेश शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार ने मिड-डे-मील के लिए करीब 650-700 करोड़ नहीं दिए है। उन्होंने स्वीकार किया है कि स्कूलों को राशि नहीं मिल पाने से कहीं-कहीं कठिनाइयों की सूचना आ रही है। सरकार जल्द ही समस्याओं को दूर करेगी।
बड़ी योजना पर कर रही काम राज्य सरकार
झारखंड सरकार एक बड़ी योजना पर काम कर रही है। इसके तहत झारखंड के सरकारी स्कूलों की खाली पड़ी जमीनों पर अब सब्जियां और फल उगाए जाएंगे। स्कूलों की खाली जमीनों को चिन्हित करने का काम भी शुरू हो गया है। योजना का मकसद ये है कि, स्कूलों के बच्चों को मिड-डे मील में नियमित रूप से सब्जियां और फल मिल सकें। इसके लिए स्कूलों की खाली जमीन किचन गार्डन के तौर पर विकसित की जाएगी।
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