ये है देसी जुगाड़ की इंजीनियरिंग का कमाल, कबाड़ चीजों के जरिये तीरंदाजी की ट्रेनिंग ले रहीं नेशनल प्लेयर

15 सितंबर को इंजीनियर दिवस है। हर व्यक्ति में एक इंजीनियर होता है। बचपन में खिलौने बनाना और नये-नये प्रयोग करना इंजीनियरिंग का ही हिस्सा रहा। यह सोच और जुनून हमें आगे ले जाता है। कोई इंजीनियर बनता है, तो अन्य क्षेत्र में नाम कमाता है। ये लड़कियां देश की नामी तीरंदाज हैं। लॉकडाउन में जब इन्हें ट्रेनिंग के लिए साधन नहीं मिले, तो उन्होंने देसी इंजीनियरिंग से चीजें तैयार कर लीं।
 

Asianet News Hindi | Published : Sep 14, 2020 11:01 AM IST / Updated: Sep 14 2020, 05:46 PM IST

रांची, झारखंड. खेलों की ज्यादातर सामग्री इंजीनियरिंग दिमाग (Engineering brains) की उपज होती है। तीरंदाजी की ट्रेनिंग में इस्तेमाल होने वाली चीजें जैसे टॉर्गेट और तीर-कमान आदि भी मशीनों के जरिये इंजीनियरों के द्वारा तैयार किए जाते हैं। क्योंकि खेलों में बैलेंसिंग और वजन का विशेष ध्यान होता है। एक इंजीनियर दिमाग इसका ध्यान रखता है। लेकिन लॉकडाउन के चलते जब ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट या सेंटर बंद हो गए, तो खिलाड़ियों को परेशानी होने लगी। रांची से करीब 35 किलोमीटर दूर कोइनारडी गांव में नेशनल गोल्ड मेडलिस्ट तीरंदाज सावित्री और निशा कुमार सहित और भी कई नामी खिलाड़ी (Archery Woman Players)रहती हैं। कोरोना में सरकार द्वारा संचालित आवासीय और डे बोर्डिंग सेंटर बंद होने से इनकी ट्रेनिंग पर असर पड़ रहा था। लेकिन इन्होंने अपना दिमाग चलाया और देसी इंजीनियरिंग के जरिये कबाड़ चीजों से खेल सामग्री बना ली। इंजीनियरिंग डे(15 सितंबर Engineer day) पर इनका जिक्र इसलिए कर रहे, क्योंकि ऐसी ही कोशिशें आपको सफल बनाती हैं। हर किसी के भीतर एक इंजीनियर होता है। यहां इंजीनियरिंग की डिग्री की बात नहीं हो रही बचपन में खिलौने बनाना आदि भी किसी इंजीनियरिंग से कम नहीं।  पढ़िए इनकी कहानी...

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बोरे, लकड़ी और कीलों की जुगाड़ से बनाई खेल सामग्री..
इन लड़कियों को ट्रेनिंग के लिए खेल सामग्री नहीं मिल पा रही थी। इस समस्या का इन्होंने देसी जुगाड़ से समाधान निकाला। इन्होंने ढेर सारी बोरियों का बंडल बनाया और उसे रस्सी से बांधकर लटका दिया। बंडल पर लकड़ियों के टुकड़े कील से ठोंककर टार्गेट सेट कर दिए। इन खिलाड़ियों को इसी चीजों से बोर्डिंग आर्चरी सेंटर जोन्हा (रांची) के कोच रोहित ट्रेनिंग दे रहे हैं।

बता दें कि कोरोना के चलते झारखंड के आवासीय ट्रेनिंग सेंटर बंद हैं। इनमें 30 खिलाड़ी ट्रेनिंग ले रहे थे। ये खिलाड़ी आर्थिक रूप से कमजोर हैं, लेकिन दिमागी तौर पर बेहद मजबूत। सात्रिवी एसजीएफआइ नेशनल तीरंदाजी (2019) अंडर-19 में एक स्वर्ण और तीन रजत पदक जीत चुकी हैं। वहीं निशा कुमारी राज्यस्तर पर कई पदक जीत चुकी हैं।

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