इस अनोखे फूल का नाम शिवलिंगी है, जो भगवान भोलेनाथ बहुत प्रिय है, कहा जाता है कि इसे चढ़ाते ही कई मनोकामना पूरी हो जाती हं। इसकी खासियत यह है कि ये फूल 12 साल में एक बार खिलता है। जो कई बीमारियों के लिए दवाई का काम करता है।
दुमका. झारखंड की उपराजधानी कहे जाने वाले दुमका जिले में इस बार 12 वर्षों में एक बार खिलने वाला भगवान भोलेनाथ को सबसे अधिक प्रिय शिवलिंगी फूल नजर आए हैं। इसे दुमका जिले के दारूक वन में देखा जा सकता है। फूल की आकृति शविलिंग जैसी होती है, यही कारण हे कि इस फूल को शिवलिंगी कहा जाता है। खास बात यह कि फूल के भीतर दिख रही शिवलिंगी आकृति ऐसी लगती है जैसे इसके ऊपर शेषनाग ने अपना फन छत्र की तरह फैला रखा है। 12 वर्ष बाद दुमका में इस फूल के दर्शन हुए है।
फूल देख अचंभित हो रहे है लोग
जानकारी के अनुसार शिवलिंगी फूल के पेड़ काफी विशाल होते हैं। 12 साल बाद इस सावन के महीने में दिखने के कारण हर कोई इसे खरीद कर भगवान भोलेनाथ को चढ़ाना चाहता है। हालांकि कई लोग ऐसे भी हैं जिन्हें इस फूल के बारे में पहले से जानकारी नहीं है। वैसे लोग इस शिवलिंगी फूल को देखने के बाद चकित हो रहे हैं।
बासुकीनाथ से सेटे दारूक वन में है वृक्ष
दुमका के बासुकीनाथ से सटे है दारूक वन। शिवलिंगी फूल का यह पेड़ इसी वन में है। दारूक वन में इस फूल के कई पेड़ लगे हुए हैं। इस फूल की खासियत भगवान शिव के कारण ही मानी जाती है। सावन के महीने में इसे देखने के लिए लोगों की भीड़ लगी है। लोग बताते हैं कि यह फूल भगवान शिव के लिए सबसे खास है। यहां की मान्यता है कि इस फूल को चढ़ाने से भगवान काफी प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं।
शिवलिंग फूल का सावन में है विशेष महत्व
शिवलिंग फूल का सावन में है विशेष महत्व। इस फूल को लोग साक्षात शिव का प्रतीक मानते हैं। कोई-कोई इसे नागफणी का फूल भी कहते हैं। जनश्रुति के अनुसार सावन में इस फूल से शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है। शिवलिंग फूल का सावन में विशेष महत्व होता है। इस फूल से शिव की पूजा करने पर वे प्रसन्न होते हैं और मांगी हुई मुरादे पूरी करते हैं। हालांकि इस फूल का पेड़ अब दुर्लभ होते जा रहा है। कई लोग इसे नागफणी फूल भी कहते हैं। भक्तों को शिवायल के पास ऐसे फूलों को पौध लगाना चाहिए।
औषधीय गुणों का भंडार है पेड़
फूल का पेड़ 35 मीटर ऊंचा, पत्तियां गुच्छेदार होती है। एक स्टीक में 12 से 15 फूल खिलते हैं। यह पेड़ औषधीय गुणों का भंडार भी है। इसके विभिन्न अंगों का उपयोग तनाव कम करने, सूजन घटाने, पेट दर्द, मलेरिया एवं दांतों के दर्द से निजात पाने के काम आता है।