क्या गरीबों का इस दुनिया में कोई नहीं है...शेयर कीजिए यह तस्वीर..ताकि इन्हें भूखों न मरना पड़े

लॉक डाउन के चलते गरीबों को खाना खिलाने की जिम्मेदारी प्रशासन के अलावा स्वयंसेवकों ने उठा रखी है। लेकिन इन जैसे गरीब बीमारों को कचरे से दाना बीनकर खाना क्यों पड़ रहा? यह शर्मनाक मामला रांची रिम्स का है।

Asianet News Hindi | Published : Apr 4, 2020 12:02 PM IST / Updated: Apr 04 2020, 05:40 PM IST

रांची, झारखंड. देश में 21 दिनों का लॉक डाउन घोषित किया गया है। इस दौरान गरीबों को भूखे न रहना पड़े, इसलिए प्रशासन और स्वयंसेवी संगठन जगह-जगह भोजन बांट रहा है। लेकिन यह तस्वीर शर्मसार करती है। यह मामला रांची रिम्स का है। शुक्रवार को यहां एक गरीब बीमार कचरे से दाने बीनकर खाते दिखाई दिया।

रिम्स में तीन टाइम का खाना कौन खा जाता है?

 गुमला जिले के खटखोर का रहने वाला फिलिप रिम्स में भर्ती है। उसका कई महीने से इलाज चल रहा है। उसके पैर में रॉड है। लिहाजा वो ठीक से चल भी नहीं सकता। हॉस्पिटल में उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है। स्टाफ उसे दुत्कारता है। शुक्रवार को जब उसे भूख लगी, तो वो घिसटते हुए कॉरिडोर में पहुंचा। यहां ओपीडी काम्प्लेक्स में कबूतरों को डाले गए दाने बीनकर खाने लगा। बताते हैं कि रिम्स में मरीजों को तीन टाइम का खाना मिलता है। लेकिन इन गरीब मरीजों को फिर भी भूखा रहना पड़ रहा है। यह सवाल खड़े करता है।

 

इससे पहले जिंदा कबूतर खाते मिली थी महिला..
रिम्स में पहले भी इस तरह का मामला सामने आ चुका है। जनवरी में भूख से बिलबिलाती एक महिला का जिंदा कबूतर खाते देखा गया था। हॉस्पिटल के कॉरिडोर से गुजर रहे लोगों की नजर जब उस मानसिक विक्षिप्त महिला पर पड़ी, तो वे यह देखकर हैरान रह गए। बताते हैं कि सामाजिक संस्थाएं लावारिसों को रिम्स में छोड़ जाती हैं। वहां उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं होता।

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