यह है झारखंड के नक्सल प्रभावित जिले खूंटी के एक छोटे से गांव की रहने वाली पुंडी सारू। इनका चयन अमेरिका में हॉकी ट्रेनिंग के लिए हुआ है।
खूंटी, झारखंड. कहते हैं कि कोशिशें कभी नाकाम नहीं होतीं। यह गरीब आदिवासी लड़की पुंडी सारू का चयन अमेरिका में हॉकी की ट्रेनिंग के लिए किया गया है। बता दें कि यूएस कंसोलेट(कोलकाता) और एक NGO 'शक्तिवाहिनी' ने रांची, खूंटी, लोहरदगा, गुमला और सिमडेगा जिले की 107 बच्चियों को रांची में 'हॉकी कम लीडरशिप कैम्प' में ट्रेनिंग दी थी। 7 दिन चले इस कैम्प से 5 बच्चियों को अमेरिका में ट्रेनिंग के लिए चुना गया है।
पुंडी खूंटी जिले के हेसल गांव की रहने वाली है। यह आदिवासी गांव बेहद पिछड़ा हुआ है। पांच भाई-बहनों में दूसरे नंबर की पुंडी 9th क्लास की स्टूडेंट है। घर का खर्चा चलाने की खातिर उसके बड़े भाई सहारा ने 12वीं की बाद पढ़ाई छोड़ दी थी। पुंडी की एक बड़ी बहन की मौत हो चुकी है। 10वीं में फेल होने पर उसने फांसी लगा ली थी। इस घटना ने पुंडी को बेहद मायूस कर दिया था। लेकिन उसने खुद को संभाला। यह और बात है कि पुंडी तक करीब 2 महीने तक हॉकी से दूर हो गई थी।
हाथ टूटने पर काम के लायक नहीं रहे पिता..
पुंडी बताती है कि उसके पिता मजदूरी करते थे। वे मजदूरी करने साइकिल से रोज खूंटी जाते थे। 2012 में किसी गाड़ी ने उनकी साइकिल को टक्कर मार दी। इससे उनका हाथ टूट गया। हड्डी तो जुड़ गई..लेकिन वो काम के लायक नहीं बचे। इसके बाद वो भी मजदूरी करने लगी। पुंडी बताती है कि उसके पास हॉकी खरीदने तक के पैसे नहीं थे। तब उसने मडुआ(एक तरह का अनाज) बेचा और स्कॉलरशिप से मिले 1500 रुपयों को जोड़कर उसने पहली हॉकी स्टिक खरीदी।
अब परिवार जानवर चराता है..
पुंडी का परिवार गाय-बकरी, मुर्गा, बैल आदि जानवर पालता है। इससे उनके घर का चूल्हा जलता है। पुंडी भी जानवर चराती है। इस सबके बाद भी पुंडी हॉकी के लिए समय निकालती है। वो अपने गांव से रोज 8 किमी दूर साइकिल चलाकर खूंटी जाती है। यहां एक प्रतियोगिता में उसने ट्रॉफी जीती थी।
यूएस स्टेट की सांस्कृतिक विभाग (असिस्टेंट सेक्रेटरी ऑफ यूएस, डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट, फॉर एजुकेशनल एंड कल्चरल अफेयर) की सहायक सचिव मैरी रोईस ने मीडिया को बताया कि चयनित सभी लड़कियां 12 अप्रैल को अमेरिका के लिए रवाना होंगी। वहां मिडलबरी कॉलेज, वरमोंट में ट्रेनिंग होगी। इन लड़कियों को वहां 21 से 25 दिनों की ट्रेनिंग दी जाएगी।