झारखंड के गुमला का मामला: लड़का-लड़की राजी, फिर पिता ने क्यों नहीं मानी बात, जानें पूरा मामला

झारखंड के गुमला जिले में लड़के के कम कमाने पर लड़की के पिता ने रिश्ता ठुकराया। पीड़ित ने भी हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सोमवार को हुई सुनवाई में कोर्ट कहा- लड़का-लड़की बालिग, दखल न दें पिता, पुलिस को उनकी सुरक्षा का दिया निर्देश।

गुमला (झारखंड). झारखंड हाईकोर्ट ने गुमला के युवक द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए जगन्नाथपुर थाना प्रभारी को यह निर्दश दिया है कि जिस युवती को लेकर हेवियस कॉर्पस दायर किया गया है उसे सुरक्षा मुहैया करायी जाये। इसके साथ ही अदालत ने जगन्नाथपुर थाना प्रभारी को यह भी निर्देश दिया है कि लड़की को उसके घर वाले परेशान न करें। इसका भी ध्यान रखा जाये। हाईकोर्ट ने यह कहते हुए याचिका निष्पादित कर दी कि अगर लड़का और लड़की बालिग हैं और साथ रहना चाहते हैं तो उन्हें साथ रहने दिया जाये और जगन्नाथपुर थाना प्रभारी यह सुनिच्शित करें कि युवती के पिता किसी तरह का व्यवधान पैदा न करें। 

गुमला के युवक ने दायर की है याचिका
जानकारी के अनुसार, गुमला के युवक ने झारखंड हाईकोर्ट में हेवियस कॉर्पस दायर की थी। अपनी याचिका में उसने कहा था कि वह एक लड़की से प्रेम करता है और लड़की भी उसके साथ रहना चाहती है। लेकिन लड़की के पिता को यह रिश्ता मंजूर नहीं है। जिसके कारण वह विरोध कर रहे हैं और लड़की को गैरकानूनी ढंग से नजरबंद कर दिया गया है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा था। अदालत ने यह निर्देश दिया कि युवती का मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज करवाया जाये और युवती के बयान के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाये। मजिस्ट्रेट के समक्ष युवती ने यह बात स्वीकार कर ली कि वह उसी युवक के साथ रहना चाहती है। 

Latest Videos

हाईकोर्ट ने कहा दोनों के मामने में कोई दखल न दें
सोमवार को युवक की याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत में युवती, उसके पिता और जगन्नाथपुर थाना प्रभारी भी मौजूद रहे। सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने यह आदेश दिया कि यदि लड़का और लड़की बालिग हैं, और साथ रहना चाहते हैं तो इसका विरोध नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि अभी से ही युवक के साथ जाना चाहती है तो इसमें कोई दखल न दे। 

क्या है हैबियस कॉर्पस पीटिशन
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 22 नागरिक को सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट में हैबियस कॉर्पस पीटिशन का अधिकार देता है। हैबियस कॉर्पस को हिंदी में बंदी प्रत्यक्षीकरण कहा जाता है। इसका उपयोग किसी ऐसे व्यक्ति की रिहाई के लिए किया जाता है जिसको बिना कानूनी औचित्य के अवैध रूप से हिरासत में लिया गया हो। या फिर पुलिस हिरासत में ली है पर उसे हिरासत में लिए जाने के 24 घंटे के भीतर अदालत में पेश नहीं की है। भारतीय संविधान में इसे इंग्लैंड से लिया गया है।

यह भी पढ़े-  झामुमो सुप्रीमो को बड़ी राहत... दिल्ली हाईकोर्ट ने लोकपाल में चल रही इस केस की सुनवाई पर लगाई रोक

Share this article
click me!

Latest Videos

Maharashtra Election 2024: 'कटेंगे-बटेंगे' के खिलाफ बीजेपी में ही उठने लगे सवाल। Pankaja Munde
UPPSC Student Protest: प्रयागराज में क्या है छात्रों की प्रमुख मांग, चौथे भी डटे हुए हैं अभ्यर्थी
'जब तक कलेक्टरनी की मेंहदी न उतार दूं...' नरेश मीणा का एक और वीडियो हुआ वायरल
SDM थप्पड़कांड के बाद हर तरफ बवाल, ठप हो गया राजस्थान और नरेश मीणा को घसीटते हुए ले गई पुलिस
वोटिंग के बीच नरेश मीणा ने SDM को ही मार दिया थप्पड़, जानें वायरल वीडियो का पूरा सच