ग्रामीण इलाकों में इन दिनों अक्सर बड़े-बड़े जहरीले सांप निकल कर लोगों के घरों तक पंहुच रहे हैं। सांप काटने से कई लोगों की मौत हो चुकी है। लेकिन इसके बाद भी लोगों में सर्पदंश का इलाज करवाने की जगह झाड़-फूंक करवाते हैं।
रांची. झारखंड में सर्पदंश की घटनाएं बढ़ती जा रही है। धालभूमगढ़ थाना क्षेत्र के पावड़ा नरसिंहगढ़ गांव में अंधविश्वास की जड़ें बहुत गहरी हैं। यहां 13 साल के किशोर सागर कालिंदी की सांप के डंसने से मौत गई थी। मौत के बाद उसे जिंदा करने की आस में परिजनों ने ओझा-गुनी से 48 घंटे तक उसका झाड़-फूंक कराया। बंगाल और झारखंड के 4-4 ओझाओं ने शव में जान फूंकने की कोशिश की। ओझाओं ने दावा किया कि डॉक्टरों ने भले ही सागर को मृत घोषित कर दिया हो, लेकिन उसके शरीर में अभी भी जान है। उन्होंने मृतक के मुंह में कई बार जड़ी बूटी खिलाई। मालूम हो कि रविवार की रात सोए हुए अवस्था में सागर को एक चित्ती सांप ने डंस लिया था, पर परिजन उसे तत्काल अस्पताल नहीं ले गए।
सागर के परिजनों ने सांप को पकड़ कर जला दिया। सोमवार सुबह तक उसकी हालत बिगड़ गई। पहले धालभूमगढ़ के स्वास्थ्य केंद्र में इलाज कराया, फिर एमजीएम ले गए। एमजीएम में डॉक्टर ने सागर को मृत घोषित कर दिया। शव लेकर परिजन घर लौट आए।’ इसके बाद परिजन शव को बांकुडा ले गए, पर वहां ओझा नहीं मिला। फिर धालभूमगढ़ के सोनाखून व घाटशिला के ओझाओं से रातभर झाड़-फूंक कराया। ओझा मंत्र पढ़ कर सागर को जिंदा करने का ढोंग रचते रहे। जब किशोर जिंदा नहीं हुआ तो उसका दाह-संस्कार किया। इससे पहले भी झारखंड में सर्पदंश के कई मामले आ चुके हैं।
चाईबासा में सांप काटने से 60 वर्ष के अधेड़ की मौत
10 जुलाई को मदगड़ा पंचायत अंतर्गत वैदविगहा गांव में सांप काटने से जनार्दन गिरी 60 वर्ष की मौत हो गई। जनार्दन खाना खाकर अपने घर मे सोये हुए थे कि अचानक रात में एक जहरीला सांप खाट पर चढ़ गया और उनके हाथ में डस दिया। इलाज के लिए हजारीबाग ले जाने के क्रम में रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। इसके बाद परिजनों ने घर वापस ले आया । जहां परिजनों ने जनार्दन को जीवित होने की आस में झाड़फूंक करने वालों का दरवाजा खटखाटाया और वे लोग भी उन्हें नहीं बचा सके।
चाईबासा के टोंटो में महिला को सांप ने डसा
10 जुलाई को ही पश्चिमी सिंहभूम जिला कि टोंटो प्रखंड के टोपाबेड़ा की दिवसी लागुरी नामक महिला को सांप ने काट लिया। टोपाबेड़ा गांव के लिए देव नदी को पार कर जाना पड़ता है। इस कारण पति को पहले साइकिल से महिला को नदी पार कराना पड़ा। इसके बाद ही एंबुलेंस से उसे सदर अस्पताल लाकर भर्ती कराया गया। टोंटो पंचायत में अभी तक 10 से अधिक लोगों को सांप काट चुका है। उनमें से तीन की मौत हो चुकी है। समय पर इलाज मिलने के कारण चार लोगों की जान बचाने में सफलता मिली है।
6 जुलाई: गुमला के बसिया में सांप काटने से छात्र की गई जान
गुमला के बसिया में दीप्ति टेटे (9 वर्ष कलिगा स्कूल की छात्रा) की सांप के काटने से मौत हो गयी। कलिगा राजकीय प्राथमिक विद्यालय की तीसरी वर्ग की छात्रा थी। स्कूल से आने के बाद कलिगा तालाब नहाने गयी हुई थी। तभी विषैले सर्प ने बांह में डस लिया था
27 जून : चाईबासा में सांप के डंसने से 51 वर्षीय महिला की मौत
सांप काटने से इलाज के दौरान हाटगम्हरिया के रुईडीह गांव निवासी 51 वर्षीय जोंगा पिंगुवा की मौत हो गई। रात में अपने घर में जमीन पर जोंगा पिंगुवा सोई थी। सुबह एक जहरीला सांप में उसके दाएं हाथ में काट लिया । सके बाद उसके परिजनो ने झाड़-फूंक कराने के लिए ओझा पर ले गए। तक जब उसकी स्थिति गंभीर हो गई तो कुमारडूगी अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
सांप के काटने से युवक की मौत, सांप भी मरा
पिपरवार कोयलांचल क्षेत्र के करमटांड़ गांव करैत सांप के काटने से सोये अवस्था में विशुन गंझू की मौत हो गई। सबसे आश्चर्य की बात है कि विजय गंझू को काटने वाले सांप भी मर गया। इस बात का खुलासा सुबह में उस समय हुआ जब विजय गंझू को उठाए जाने के बाद बगल में ही मरा हुआ सांप मिला। जिससे स्पष्ट रूप से माना जा रहा है कि विजय गंझू की मौत सांप के काटने से ही हुई है।
15 जून चाईबासा के टोपा बेड़ा गांव में सांप के काटने से किशोर की मौत
टोन्टो प्रखंड के टोन्टो पंचायत के टोपा बेड़ा गांव में 16 वर्षीय किशोर सोमा लागुरी की मौत हो गई। वह प्रोजेक्ट उच्च विद्यालय में कक्षा छठी का छात्र था। सुबह उसे सांप ने काटा। उसके बाद परिवार वाले झाड़ फूंक कर उसके इलाज की कोशिश में लगे रहे। उसकी जान चली गई।
चमत्कार की उम्मीद में बच्चे के शव का इलाज करते रहे परिजन
धनबाद के एक स्कूल में सांप के काटने से 13 वर्षीय छात्र (टुकटुक) की मौत हो गई। स्कूल के अन्य बच्चों ने शिक्षकों को बताया था कि टुकटुक को सांप ने काट लिया है लेकिन, शिक्षकों ने इसे गंभीरता नहीं लिया। परिजनों ने जिंदा होने की आस में करीब 2 घंटे तक उसके शव पर बर्फ और पानी डालकर इलाज करते रहे। मगर जान नहीं बच सकी। परिजनों को किसी चमत्कार की उम्मीद थी। हालांकि, डॉक्टर ने बच्चे को पहले ही मृत घोषित कर दिया था।
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