
देवघर, झारखंड. यहां के प्राचीन धार्मिक स्थल बाबा वैद्यनाथ धाम मंदिर में चढ़ा पंचशूल महाशिवरात्रि के 2 दिन पहले सफाई के लिए उतारा गया। इस दौरान धार्मिक आयोजन हुए। यह पंचशूल शंकर-पावर्ती के मंदिर पर चढ़ा रहता है। गुरुवार सुबह महंत सरदार पंडा द्वारा विशेष पूजा-अर्चना के बीच पंचशूल को नीचे उतारा गया। पूरे साल सिर्फ महाशिवरात्रि पर ही यह पंचशूल सफाई के लिए नीचे उतारा जाता है। शिवरात्रि पर विशेष पूजा-अर्चना के बाद उसे पुन: शिखर पर चढ़ा दिया जाता है।
रामायण काल से जुड़ा है पंचशूल का रहस्य...
पचंशूल का जिक्र कई हिंदू धर्म ग्रंथों में मिलता है। इसके अनुसार भगवान विष्णु ने स्वयं यहां शिवलिंग स्थापित किया था। उन्होंने ग्वाले का भेष धारण करके रावण को रोका था, जो कैलाश पर्वत से शिवलिंग उठाकर लंका ले जा रहा था। कहते हैं कि सिर्फ रावण को पंचशूल के सुरक्षा कवच को भेदना आता था। भगवान राम तक इसका रहस्य नहीं जानते थे। विभीषण ने ही भगवान राम को इस बारे में बताया था। तभी वे अपनी सेना को लेकर लंका पहुंच पाए थे। यह भी कहा जाता है कि पंचशूल के दर्शन से काम,क्रोध, लोह, मोह और ईर्ष्या जैसे पांच शूलों से मुक्ति मिलती है।
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