बंदर की तरह 20 घंटे तक नदी के बीच में चट्टान पकड़कर बैठा रहा यह शख्स

धनबाद के झरिया में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। इस शख्स के जिंदा होने की उम्मीद छोड़ दी थी। हालांकि परिजनों को पूरा भरोसा था कि भगवान सबकुछ अच्छा करेगा।
 

Asianet News Hindi | Published : Oct 10, 2019 10:53 AM IST

धनबाद. कहते है कि जिसकी जितनी जिंदगी लिखी है, वो उतनी तो  जीएगा, भले कितनी भी बड़ी दुर्घटना हो जाए! इस शख्स की जिंदगी भी बाकी थी, इसलिए हादसे के बावजूद सही-सलामत घर लौट आया। यह हैं मंगरू। नदी में बहने के बावजूद करीब 20 घंटे बाद ये अपने घर लौट आए। इनके जिंदा बचने की कहानी भी कुछ कम हैरान करने वाली नहीं है।

हुआ यूं कि 60 साल के मंगरू के पड़ोसी पप्पू की पत्नी का निधन हो गया था। सोमवार शाम लोग उसका अंतिम संस्कार करने लालबंगला दामोदर नदी पहुंचे। अंतिम संस्कार के बाद सभी नदी में नहाने उतरे। इसी दौरान मंगरू तेज बहाव में बह गया। यह देखकर सभी लोग घबरा उठे और उसे ढूंढने की कोशिश की। जब वो नहीं मिला, तो लोगों ने उसके जिंदा रहने की उम्मीद छोड़ दी। वापस लौटकर यह खबर मंगरू के घरवालों को दी गई। यह सुनकर मानों सब पर वज्रपात टूट गया। मंगरू की पत्नी सीता देवी नवरात्र पर व्रत कर रही थी। उसे उम्मीद थी कि उसका पति जिंदा है। वो मां दुर्गा के आगे भजन-कीर्तन करने लगी। करीब 20 घंटे बाद मंगरू घर लौट आया।

लोगों ने देखा, तो बची जान
मंगरू ने बताया कि नदी में बहते हुए वो एक चट्टान से टकराया। वो उसे पकड़कर रातभर बंदर की तरह बैठा रहा। मंगलवार सुबह कुछ लोगों की नजर उस पर पड़ी, तो उसे बाहर निकाला गया। मंगरू के चार बेटे हैं-कुंदन, चंदन, अजय और अमन। सभी इसे देवी का चमत्कार मान रहे हैं।

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