झारखंड का सबसे बड़ा साइबर फ्रॉड, सरकारी खजाने से 10 करोड़ उड़ाए, ऐसे खुला राज

गढ़वा के डिप्टी कमिश्नर राजेश कुमार पाठक ने कहा कि विभागीय स्तर पर जांच के लिए कमेटी बनाई जा रही है। मेदिनीनगर में विभाग और बैंक के अधिकारी-कर्मचारियों पर केस दर्ज कराया गया है।
 

Ankur Shukla | Published : Feb 3, 2021 9:28 AM IST

झारखंड ।  गढ़वा में राज्य का सबसे बड़ा साइबर क्राइम सामने आया है। साइबर अपराधियों ने विशेष भू-अर्जन विभाग के खाते से क्लोन (नकली) चेक के जरिए दो घंटे में 10 करोड़ रुपए निकाल लिए। यह रकम बराज विस्थापितों को बांटी जानी थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसका खुलासा तब हुआ जब जिला समन्वय समिति की मीटिंग में विधायक भानुप्रताप शाही ने सवाल किया कि किसानों को मुआवजा क्यों नहीं बांटा जा रहा है। हालांकि इसकी जानकारी देते हुए अधिकारी ने उन्हें बताया कि मामले की जांच चल रही है।

एक्जीक्यूटिव इंजीनियर ने किया खुलासा
कधवन बांध प्रबंधन के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर आफताब आलम ने फर्जीवाड़े का खुलासा किया। खुलासे में यह भी सामने आया कि साइबर अपराधियों ने  SBI की मेदिनीनगर शाखा से पहले 9 करोड़ निकाले, फिर एक करोड़ रुपए निकालकर राशि पुणे ट्रांसफर कर दी। एक्जीक्यूटिव इंजीनियर ने कहा कि जांच चल रही है। ऐसे में लोगों को भुगतान नहीं किया जा सकता।

मंत्री ने शुरू कराया था काम
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जल संसाधन विभाग खरौधीं ब्लॉक में डोमनी नदी पर 6.6 किमी लंबा बराज बना रहा है। जिसकी लागत 41 करोड़ तय की गई है। 30 जुलाई 2013 को तत्कालीन केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने शिलान्यास किया था। वही, बराज के कारण  विस्थापितों को मुआवजा देने के लिए विशेष भू-अर्जन विभाग के खाते में यह रकम भेजी गई थी। लेकिन, नवंबर 2019 में साइबर अपराधियों ने फर्जी चेक के जरिए ये रकम निकाल ली।

अधिकारियों पर केस दर्ज
गढ़वा के डिप्टी कमिश्नर राजेश कुमार पाठक ने कहा कि विभागीय स्तर पर जांच के लिए कमेटी बनाई जा रही है। मेदिनीनगर में विभाग और बैंक के अधिकारी-कर्मचारियों पर केस दर्ज कराया गया है।


प्रतीकात्मक फोटो
 

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