जो सरकार नहीं कर पाई वो झारखंड के इस गांव के ग्रामीणों ने कर दिखाया

झारखंड के चट्टानीपानी, जोजोगोडा, सुनूडोर, दामडीडीह, गुरूटोला और ओड़िशा के ताहुतुका, डाहपानी, और कुसमघाटी गांव के ग्रामीण उस पुल का उपयोग कर पाएंगे। बरसात के समय में इन सभी गांव के ग्रामीणों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है।

पूर्वीं सिंहभूम. पूर्वी सिंहभूम जिला में एक ऐसा गांव के जहां के ग्रामीण सरकार से उम्मीद छोड़कर श्रमदान कर हर साल खुद लकड़ी के पुल का निर्माण करते हैं। उसी पुल के सहारे ग्रामीण रोजना आना-जाना करते हैं। पुल निर्माण के लिए ग्रामीणों ने जनप्रितनिधियों से लेकर सरकारी अधिकारियों से गुहार लगाई लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी। अंतत: ग्रामीणों ने खुद पुल निर्माण करने की ठानी और पुल बना भी डाला। सरकारी मदद की उम्मीद छोड़ इस साल भी ग्रामीणों ने श्रमदान कर पुल का निर्माण किया है। बरसात के पूर्व हर साल ग्रामीण पुल की मरम्मत करते हैं।

ओड़िशा सीमा से सटा हैं गांव जहां जय नदी पर ग्रामीण बनाते है पुल
पूर्वीं सिंहभूम जिला स्थित डुमरिया प्रखंड के चट्टानीपानी गांव में स्थित जय नदी पर हर साल लकड़ी के पुल का निर्माण होता है। चट्टानीपानी गांव ओड़िशा सीमा से सटा हुआ है। चट्टानीपानी समेत आस-पास के ग्रामीण आजादी के बाद से ही पुल निर्माण की मांग कर रहे हैं। वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में ग्रामीण ने पुल नहीं तो वोट नहीं की मांग पर प्रदर्शन भी किया। ग्रामीणों को आश्वासन मिला कि पुल बन जाएगा लेकिन आज तक यहां पुल निर्माण की दिशा में कोई पहल नहीं की गई। ग्रामीण कहते हैं कि राज्य में सरकार चाहे जिसकी भी बनी लेकिन किसी ने यहां पुल निर्माण को लेकर कोई पहल नहीं की। 

Latest Videos

जंगल से लकड़ी काट करते हैं पुल का निर्माण
ग्रामीण बुढ़ान हांसदा ने कहा कि हर साल ग्रामीणों को पुल के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है। बरसात के पहले हर साल पुल की मरम्मत ग्रामीण श्रमदान कर करते हैं। जंगल से लकड़ी काट ग्रामीण मोटे-मोटे रोले कंधे पर ढोकर जय नदी तक लाते हैं। फिर एकजुट होकर पुल की मरम्मत की जाती है। वे लोग कई वर्षों से जय नदी पर पुल निर्माण की मांग कर रहे हैं लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी। हर साल पुल के निर्माण में गांव की महिलाएं और बच्चे भी सहयोग करते हैं। इसी रास्ते से ग्रामीण प्रखंड कार्यालय जाते हैं, जबकि बच्चे इसी पुल से होकर स्कूल जाते हैं। ऐसे में हादसे का डर भी बना रहता है।

बरसात के समय ग्रामीणों को काफी परेशानी होती है। ज्यादा बारिश होने परचट्टानीपानी गांव अन्य गांव से कट जाता है। जय नदी में पानी भर जाने से ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। नदी के तेज बहाव में लकड़ी का पुल टूट कर बह जाता है। ग्रामीण ने कहा कि यह पुल झारखंड और ओडिशा को जोड़ता है। जय नदी पर पुल बनने से करीब दस गांवों के ग्रामीणों को फायदा होगा।

इसे भी पढ़ें- 12 जुलाई को देवघर में बाबा बैद्यनाथ की पूजा करेंगे PM मोदी...झारखंड की जनता को देंगे 6565 करोड़ का तोहफा 

 

Share this article
click me!

Latest Videos

पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का निधन, 92 साल की उम्र में ली आखिरी सांस #short
'ईश्वर-अल्लाह तेरो नाम...' सुनते ही पटना में बवाल, सिंगर को मांगनी पड़ी माफी । Atal Jayanti Program
आसान है पुरानी कार पर GST का नया नियम, यहां समझें हर एक बात । Nirmala Sitharaman । GST on Cars
CM भजनलाल शर्मा की पत्नी और बेटे करते दिखे दंडवत परिक्रमा, 16 सालों से चल रहा है सिलसिला
Pushpa-2 Stampede Case: Allu Arjun के पहुंचने से पहले ही भीड़ हो गई थी अनियंत्रित, CCTV ने खोले राज