झारखंड पंचायत चुनाव 2022 रिजल्ट : रिक्शा चालक बना पंचायत का मुखिया, घर में दाल-चावल-आटे का भी जुगाड़ नहीं

पहले चरण में ग्राम पंचायत सदस्यों की 7304 सीट, मुखिया की 1,117, पंचायत समिति सदस्यों की 1,256 और जिला परिषद सदस्यों की 143 सीटों पर काउटिंग हुई। ग्राम पंचायत सदस्य के लिए 17 हजार 822, मुखिया के लिए 6,890, पंचायत समिति सदस्य के लिए 4,694 और जिला परिषद सदस्य के लिए 815 उम्मीदवार मैदान में थे।

Asianet News Hindi | Published : May 18, 2022 2:46 AM IST / Updated: May 18 2022, 08:37 AM IST

रांची : झारखंड पंचायत चुनाव के पहले चरण के रिजल्ट (Jharkhand Panchayat Chunav Result) में चौंकाने वाले परिणाम देखने को मिले हैं। राजधानी रांची (Ranchi) के राहे पंचायत के पुरनानगर में एक रिक्शा चालक को गांव वालों ने मुखिया बना दिया है। चुनाव में जीत हासिल करने वाले रिक्शा चालक कृष्णा पातर मुंडा के लिए दो वक्त की रोटी भी बड़ी कठिनाई से नसीब होती है लेकिन लोकतंत्र की खूबसूरती ने उन्हें अब मुखिया बना दिया है। वह लगातार तीसरी बार मुखिया पद के लिए चुनावी मैदान में उतरे। दो बार उन्हें सफलता नहीं मिली लेकिन इस बार उन्होंने बड़े-बड़े पैसे वालों को चुनावी मैदान में धूल चटा दिया।

किसी तरह चलता है गुजारा
कृष्णा पातर मुंडा पिछले 10 साल से रिक्शा चला रहा है। वह हर दिन गांव से 10 किलोमीटर दूर रांची बस से ज्यादा है। फिर वहीं रिक्शा चलाता है और जो भी थोड़ी-बहुत कमाई होती है, उसी से परिवार का गुजारा चलता है। कृष्णा के परिवार में उसकी पत्नी और चार बेटियां हैं। गांव वालों ने उसका नाम मुखिया ही रखा था। उसे जब भी बुलाते मुखिया कहकर ही बुलाते हैं। घर में गरीबी का आलम यह है कि न तो उसके पास मोबाइल है और ना ही साइकिल।

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गांव वालों ने मदद कर चुनाव लड़ाया
कृष्णा को गांव वालों ने चुनाव में हौलसा देकर खड़ा कराया। गरीबी के कारण मुखिया चुनाव लड़ने की उसकी क्षमता नहीं थी। उसके पास तो कुछ था भी नहीं। लेकिन, हर बार के चुनाव में कई ग्रामीण उसके समर्थन में उतरते और उसकी खूब मदद करते। जब गांव वालों ने कृष्णा को चुनाव में उतारा तो दूसरी तरफ काफी पैसे वाले लोग खड़े थे। लेकिन गांव वालों ने कृष्णा का घर दाल-चावल और आटा की व्यवस्था की और उसे चुनावी मैदान में उतारा और जमकर वोट दिया। 

मेरा काम बोलेगा-कृष्णा पातर मुंडा
वहीं, इस जीत के बाद कृष्णा, उसका परिवार और समर्थक काफी उत्साहित हैं। जब कृष्णा से उसकी जीत को लेकर बात की गई तो उसने कहा कि जो लोग चुनाव जीतते हैं, वे गरीबों का काम नहीं करते। लेकिन जब चुनाव जीतने वाला खुद गरीब परिवार से हो तो वह उनके दुख-दर्द को समझता है। अब जबकि चुनाव जीत गया हूं तो मैं ज्यादा कुछ नहीं बोलना चाहता, मेरा काम बोलेगा, जो सभी वर्ग के लिए होगा।

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