झारखंड के बड़कागांव गोलीकांड में 6 साल बाद फैसला, पूर्व मंत्री योगेंद्र साव और पत्नी को 10 साल की जेल

उस वक्त आंदोलन तेज होने पर प्रशासन और सरकार के साथ कई दौर की बात हुई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। इसके बाद पूर्व विधायक निर्मला देवी को गिरफ्तार कर लिया गया। जिससे हिंसा भड़क गई। पुलिस और ग्रामीणों के बीच हिंसक झड़प हुई।

रांची : झारखंड (Jharkhand) के चर्चित हजारीबाग बड़कागांव गोलीकांड मामले (Hazaribagh Barkagaon Case) में आखिरकार 6 साल बाद फैसला आ गया है। गुरुवार को रांची व्यवहार न्यायालय ने अपना फैसला सुनाते हुए पूर्व मंत्री योगेंद्र साव (Yogendra Saw) और उनकी पत्नी पूर्व विधायक निर्मला देवी (Nirmala Devi) को अधिकतम 10 साल की सजा सुनाई है। इसके साथ ही पांच-पांच हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। यह सजा अलग-अलग धाराओं में सुनाई गई है। वहीं, पूर्व मंत्री की बेटी और विधायक अंबा प्रसाद ने मां- और पिता को साजिश के तहत फंसाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि वे इसके खिलाफ अपील करेंगी। बता दें कि अपर न्यायायुक्त विशाल श्रीवास्तव की अदालत ने 22 मार्च को दोनों को दोषी ठहराया था। सबूत के अभाव में योगेंद्र साव के बेटे अंकित को बरी कर दिया गया था। 

पति-पत्नी दोषी करार
कोर्ट ने पूर्व मंत्री योगेंद्र साव और उनकी पत्नी निर्मला देवी को कई धाराओं में दोषी ठहराया है। इसमें 325 गंभीर रूप से घायल करने , 326 आगजनी , 148 दंगा फसाद, 307 हत्या की कोशिश, 188 धारा 144 का उल्लंघन), 153 सरकारी कार्य में बाधा, 120बी षडयंत्र करना शामिल है।

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कफन सत्याग्रह के दौरान का मामला

बड़कागांव गोलीकांड 2015 में हुआ था। चिरूडीह के खनन क्षेत्र में NTPC को जमीन दी गई गई थी। एनटीपीसी वहां से कोयला खनन कर रहा था। तब पूर्व मंत्री योगेंद्र साव और विधायक निर्मला देवी अधिग्रहण के विरोध में उतर आई थी। 15 सितंबर 2016 को निर्मला देवी अपने समर्थकों के साथ कफन सत्याग्रह पर बैठ गई। यह सत्याग्रह 30 सितंबर तक चला। जिससे खनन का काम रुक गया। एक अक्टूबर की सुबह छह बजे के करीब एएसपी कुलदीप कुमार, सीओ शैलेश कुमार सिंह अपनी टीम क साथ वहां पहुंचे और विरोध समाप्त करने को कहा। जब किसी ने उनकी अपील नहीं मानी तो विधायक निर्मला देवी को हिरासत में ले लिया गया।

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हिंसा में चार की मौत

विधायक निर्मला के हिरासत में लेते ही समर्थकों और पुलिसकर्मियों में झड़प हो गई। भीड़ ने पुलिस टीम पर हमला कर विधायक को छुड़ा लिया। हिंसा में एसएसपी, सीओ समेत कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। इस विरोध-प्रदर्शन में चार लोगों की जान भी चली गई थी। जिसके बाद बड़कागांव खाने में पूर्व मंत्री योगेंद्र साव, तत्कालीन विधायक निर्मला देवी और अंकित के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।

अप्रैल 2019 में सरेंडर
योगेंद्र साव पर बड़कागांव हिंसा केस के अलावा दो दर्जन से ज्यादा मामले अलग-अलग थाने में दर्ज थे। योगेंद्र केस प्रभावित न कर सकें, इसके लिए अप्रैल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने उनसे जुड़े सभी मामले रांची की अदालत में ट्रांसफर करने का आदेश दिया। योगेंद्र साव को ट्राइल कोर्ट में सरेंडर करने को कहा। इसके बाद 15 अप्रैल 2019 को योगेंद्र साव ने रांची की अदालत में सरेंडर कर दिया। तभी से वे जेल में हैं। हिंसा के आरोपियों के खिलाफ 19 अप्रैल 2018 को आरोप गठन किया गया जबकि तीन दिसंबर 2016 को आरोप पत्र दाखिल किया गया था। 

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