3 नेशनल चैंपियन बहनों की कहानी सुन आ जाएगा रोना, पिता को नहीं मिल रही मजदूरी, मेडल देख मिटा रहीं भूख

Published : Oct 20, 2020, 11:24 AM IST
3 नेशनल चैंपियन बहनों की कहानी सुन आ जाएगा रोना, पिता को नहीं मिल रही मजदूरी, मेडल देख मिटा रहीं भूख

सार

 लेकिन इस समय उनका पूरा परिवार मुफलिसी के दौर से गुजर रहा है। वह तीनों शहर में जाकर लोगों से कोई काम या नौकरी मांग रही हैं, ताकि घर का खर्चा चल सके।

रांची. कोरोना महामारी ने एक तरफ जहां लाखों लोगों को मौत की नींद सुला दिया। वहीं कई परिवारों को जीते जी मार दिया है। ऐसी ही एक कहानी झारखंड की राजधानी रांची से सामने आई है, जहां तीन नेशनल चैंपियन बहनें दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज हैं। वह अपने घर की दीवार लगे मेडल और सर्टिफिकेट को देखती रहती हैं। कहती ये सब सम्मान किस बात का जब ऐसे दिन देखने पड़ रहे हैं।

सबको पछाड़ा, लेकिन सिस्टम से हो गईं चित
दरअसल, यह तीनों बहनों के नाम राखी, मधु और जूही है, जिन्होंने कुश्ती चैम्पियनशिप में एक दो नहीं बल्कि कई गोल्ड मेडल जीते हैं। इन बेटियों ने साबित कर दिखाया कि आज के दौर में लड़कियां किसी से कम नहीं। लेकिन इस समय उनका पूरा परिवार मुफलिसी के दौर से गुजर रहा है। वह तीनों शहर में जाकर लोगों से कोई काम या नौकरी मांग रही हैं, ताकि घर का खर्चा चल सके।

पिता को भी नहीं मिल रही मजदूरी
बता दें कि तीनों खिलाड़ी बेटियां कुश्ती में जो इनाम जीतती थीं उससे ही परिवार का खर्चा चलता था। कोरोना की वजह से सब बंध पड़ा है, पिता मजदूरी करते थे, इस समय उनको भी कोई काम नहीं मिल रहा है।  हर दिन आर्थिक तंगी और बदहाली की वजह से चैंपियन बेटियां अपने दर्द बयां करती रहती हैं। वह शासन प्रशासन तक से मदद की गुहार लगा चुकी हैं, लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला।

मुख्यमंत्री तक पहुंची दर्दभरी कहानी
जब तीनों चैंपियन बहनों की दर्दभरी कहानी मीडिया के जरिए सामने आई तो यह मामला सरकार तक पहुंचा। झारखंड कुश्ती संघ के अध्यक्ष भोला सिंह ने तीनों की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने उनकी बात मुख्यमंत्री तक पहुंचाई है। हेमंत सोरेन इस बात को लेकर गंभीर हैं और जल्द से जल्द उनको मदद करने का आश्वासन दिया है।

बकरियों को बेचकर हो रही रोटियों की जुगाड़
तीनों बेटियां की मां का कहना है कि अभी तक घर का खर्चा बेटियों की स्कॉलरशिप और उनकी कोचिंग से ही गुजर रहा था। लेकिन अब तो कुछ बचा नहीं जिससे पेट पाल सकें। बकरियों को बेचकर ही रोटी का जुगाड़ हो पा रही है।

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