लोगों के लिए अजूबा बन गए ये बच्चे..लेकिन मांएं अपनी किस्मत पर रोती रहीं, पढ़िए 3 कहानियां

ये तीन कहानियां गर्भवती महिलाओं की परेशानी को दिखाती हैं। सरकारी अव्यवस्थाओं के चलते हर साल कई महिलाओं को सड़क पर बच्चों को जन्म देना पड़ता है। इनमें से कई बच्चे दम तोड़ देते हैं। वहीं, एक कहानी एक ऐसी मां की है, जिसने गर्भ के दौरान अपने खान-पान का ठीक से ध्यान नहीं रखा और उसकी बच्ची अपंग जन्मी। दो कहानियां झारखंड की हैं, जबकि एक बिहार की। 
 

Asianet News Hindi | Published : Jun 22, 2020 7:36 AM IST / Updated: Jun 22 2020, 01:56 PM IST

रांची, झारखंड. ग्रामीण अंचल में बच्चों को जन्म देना उतना आसान नहीं, जितना शहरों में। ये तीन कहानियां गर्भवती महिलाओं की परेशानी को दिखाती हैं। सरकारी अव्यवस्थाओं के चलते हर साल कई महिलाओं को सड़क पर बच्चों को जन्म देना पड़ता है। इनमें से कई बच्चे दम तोड़ देते हैं। वहीं, एक कहानी एक ऐसी मां की है, जिसने गर्भ के दौरान अपने खान-पान का ठीक से ध्यान नहीं रखा और उसकी बच्ची अपंग जन्मी। दो कहानियां झारखंड की हैं, जबकि एक बिहार की। 

सड़क पर कराहती रही महिला..
यह मामला झारखंड के गुमला जिले के चैनपुर प्रखंड के बैंदौरा गांव का है। यहां रहने वाली मोदेस्ता कुजूर को जब प्रसव पीड़ा हुई, तो उसके पति बासिल तिर्की ने 108 को कॉल किया। लेकिन एम्बुलेंस नहीं पहुंची। लिहाजा गर्भवती को पैदल ही चैनपुर स्वास्थ्य केंद्र की ओर लेकर निकल पड़े। लेकिन रास्ते में ही महिला को प्रसव हो गया। इसके बाद महिला बच्चे को लेकर घर लौट गई। ऐसे मामले पहले भी सामने आते रहे हैं। यह तस्वीरर सितंबर, 2019 की डाल्टनगंज की है। यहां एक महिला को जब स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिलीं, तो उसने सड़क पर ही प्रसव किया। हालांकि बच्चे को नहीं बचाया जा सका था। बाद में मामला तूल पकड़ा, तब सरकार की नींद खुली।

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यहां गर्भवती की गलती से बच्ची अपंग पैदा

बिहार के मुंगेर (पहली तस्वीर) में जन्मी एक पैर वाली बच्ची को लेकर लोग हैरान है। वे बच्ची को अजूबा समझकर देखने पहुंच रहे हैं। जबकि डॉक्टरों का कहना है कि गर्भवती की जाने-अनजाने हुई एक गलती बच्ची की जिंदगी पर भारी पड़ गई। बच्ची का जन्म सीजेरियन से हुआ है। हालांकि मां और बच्ची दोनों स्वस्थ्य हैं। यह और बात है कि बच्ची को देखकर मां रोने लगती है। धरहरा प्रखंड के करैली टोला गांव की रहने वाली 22 वर्षीय खुशबू कुमारी ने 19 जून को मुंगेर सदर अस्पताल में एक पैर वाली बच्ची को जन्म दिया। प्रसव कराने वाले डॉ. गोविंद ने सीजेरियन ऑपरेशन किया। उन्होंने बताया कि इस अपंगता को फोकोमेलिया कहते हैं। बच्चा गर्भ में विकसित नहीं हो पाता है। ऐसा गर्भवती द्वारा कोई गलत दवा खा लेने या फॉलिक एसिड, आयरन अथवा विटामिन का इस्तेमाल न करने से होता है। 

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